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अपनी संस्कृति पर गर्व करना सिखाते है स्वामी महर्षि दयानंद सरस्वती के उपदेश- जयवीर

उत्तर प्रदेश

स्वामी दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती का 3 दिवसीय समारोह से प्रारम्भ हो गया। पहले दिन धूमधाम से रथयात्रा निकाली गई। जिसमें बडी संख्या में स्कूली बच्चों ने भाग लिया। बच्चों ने बीच बीच में व्यायाम का प्रदर्शन किया। हाथों में तख्तियां लेकर बच्चों ने अंधविश्वास को दूर भगाने और धर्म को मानवता की सेवा का साधन बनाने के नारे लगाए। बच्चों का मार्ग में जगह-जगह स्वागत भी किया गया।
फिरोजाबाद जिले में सिरसागंज में करहल रोड स्थित आर्य गुरूकुल महाविद्यालय में प्रारंभ हुए विराट आर्य महाकुंभ में सुबह योगाभ्यास एवं नाड़ी विज्ञान चर्चा का आयोजन किया गया। इसके बाद पर्यावरण एवं विश्व कल्याण अग्निहोत्र में सभी ने आकर आहुतियां प्रदान की। सुबह साढे नौ बजे गांधी मण्डी से दिव्य ज्ञान ज्योति रथ शोभायात्रा निकाली गई। जिसका कैबिनेट मंत्री ने हरी झंडी दिखाकर शुभारम्भ किया। शोभायात्रा में बच्चे अपने हांथों में अंधविश्वास को दूर भगायंे, ज्ञान का दीप जलायंे व ईश्वर के गुणों का अनुकरण करें जैसे नारे लिखे हुए थे।
शोभायात्रा गांधी मण्डी से प्रारंभ होने के बाद मण्डी रोड, मो. गडरियान, मैन रोड, सब्जी मंडी गेट, थाना रोड, डाकखाना तिराहा, सुभाष पार्क, विजय नगर चौक, सोथरा चौराहा व करहल चौराहा होते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंची। जहां कैबिनेट मंत्री ठा. जयवीर सिंह ने डीएम रमेश रंजन, सीडीओ शत्रुघ्न वैश्य, एडीएम विशु रजा व एडीएम न्यायिक संगीता सिंह की उपस्थिति में 25 फुट ऊंचे ओम ध्वज को फहराकर कार्यक्रम का शुभारम्भ कराया।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि स्वामी दयानंद ने अंधविश्वास के अंधेरे में डूबे समाज को जगाने का काम किया था। अंग्रेजों के वैचारिक तिलिस्म को तोडकर उन्होंने समाज को नई दिशा दी थी। जब ब्रिटिश साम्राज्य हमारे विचारों पर हावी हो रहा था तो उन्होंने ही अपनी भारतीय संस्कृति पर गर्व करना सिखाया था। हमें आज भी अपनी संस्कृति पर गर्व करके रहना चाहिए और सदैव अपनी संस्कृति से जुडे रहें क्योंकि बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे।

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