हरिद्वार: प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार को अर्द्धकुम्भ मेले के अवसर पर पंतद्वीप में आयोजित तीन दिवसीय योग महाकुम्भ का
द्वीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान की पहुंच विदेशों तक पहुंचाने में योग एवं आध्यात्म की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। गंगा, योग एवं हिमालय को उत्तराखण्ड की पहचान बताते हुए उन्होंने उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की देश-विदेशों में पहचान के लिए ऋषिकेश एवं हरिद्वार मे आयोजित अन्तराष्ट्रीय योग महाकुम्भ को महत्वपूर्ण अवसर बताया।
पंतद्वीप हरिद्वार मे आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम मे उन्होने अपेक्षा की कि ऐसे समेकित प्रयास हो ताकि अधिक से अधिक लोग हरिद्वार सहित उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से बार-बार आये, इसके लिए हरिद्वार प्रेरणा का श्रोत बन सकता है। श्री रावत ने कहा कि हमारे पास जो अच्छा है उसे दूसरो तक पहुचाना हमारा दायित्व है। योग हमारी ताकत है। आर्गेनिक खेती राज्य की पहचान बने, इसके लिए स्थानीय उत्पादो के उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होने हरिद्वार की जनता को अधिक से अधिक संख्या में योग महोत्सव में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवप्रयाग में गंगा, योग और संस्कृति को जोडने के लिए संस्कृति केन्द्र बनाया जायेगा। आगामी महाकुम्भ के लिए गंगा घाटो का विस्तारण किया जायेगा। उन्होने विदेशों से आये योगाचार्यो एवं योग प्रशिक्षकों का अगले वर्ष पुनः हरिद्वार आने का आह्वान किया। विश्वविख्यात ड्रमवादक शिवमणि एवं रूना रिजवी शिवमणि के संगीत व ड्रमवादन ने हर-की-पैड़ंी के समीप गंगातट को बेहद रूमानी बना दिया।
इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द ने मुख्यमन्त्री हरीश रावत के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि इतिहास कुछ मिनटों में बदला करता है। मुख्यमन्त्री का काम अब बोलने लगा है। श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद ‘‘अपने विाद को तुम योग में बदल सकते हो’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को योग विस्तार से पुरातन ग्रन्थ कहा। जयराम आश्रम के प्रमुख स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने देवभूमि उत्तराखण्ड की महानता का केन्द्र गंगा और योग को बताया। शान्तिकुन्ज प्रमुख एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डाॅ0 प्रणव पण्ड्या योग महाकुम्भ में आए योग साधकों का हरिद्वार में स्वागत करते हुए बताया कि देसंविवि से प्रतिर्व 350 योगाचार्यों का उत्पादन देश-दुनिया में योग विज्ञान के प्रसार व सेवा के लिए किया जा रहा है। आर्गेनिक इण्डिया के संस्थापक भारतमित्र ने एकता व शान्ति पर आधारित संगीत ‘ऊँ शलोम सलाम आमीन ऊँ’ प्रस्तुत किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने प्रसन्नता व्यक्त की कि योग भारत की धरती से निकला योग दुनिया भर में फैल रहा है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार बदलाव की पवित्र भूमि है, यहाँ से बड़े-बड़े बदलाव सदा से होते रहे हैं। उन्होंने कुम्भनगरी में योग महाकुम्भ के आयोजन को राज्य सरकार का क्रान्तिकारी विचार माना और मुख्यमन्त्री को आश्वासन दिया कि हरिद्वार एवं ऋकिकेश की सभी संस्थायें व विश्वविद्यालय/महाविद्यालय इस विचार को विश्वव्यापी क्रान्तिकारी स्वरूप प्रदान करने में सहयोग करने को कटिबद्ध हैं। विश्व महिला दिवस पर नवदान्या प्रमुख डाॅ0 वन्दना शिवा ने महिला सशक्तीकरण के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त किए।
इसके पूर्व पर्यटन सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि अन्तरराष्ट्रीय योग महोत्सव में परमार्थ निकेतन एवं गंगा रिसाॅर्ट में दो हजार से अधिक व्यक्तियों ने पंजीयन कराकर योग सीखा। उन्होंने पर्यटन विभाग द्वारा र्वािक योग कलेण्डर बनाकर उत्तराखण्ड को योग का हब बनाने का राज्य सरकार का संकल्प व्यक्त किया। परमार्थ निकेतन के निदेशक राम महेश मिश्र ने अन्तरराष्ट्रीय योग महोत्सव-2016 से लेकर योग महाकुम्भ की यात्रा की जानकारी दी और आशा व्यक्त की कि राज, समाज और सन्त तीनों के सहगमन से कुम्भ के परिणाम और अधिक लाभदायी होंगे। परमार्थ निकेतन की वरिष्ठ प्रतिनिधि एवं अन्तरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती ने सभामंच का संचालन किया, उन्होंने योग महाकुम्भ के आयोजन के लिए मुख्यमन्त्री सहित राज्य सरकार के प्रति आभार जताया। योग महाकुम्भ का शुभारम्भ साध्वी आभा सरस्वती के मंत्रोच्चारण के साथ मुख्यमन्त्री द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। योग महाकुम्भ में पतंजलि विवि, गुरुकुल कांगड़ी विवि, उत्तराखण्ड संस्कृत विवि, गुरुकुल महाविद्यालय, हिन्दू हेरिटेज, पुलिस ट्रेनिंग काॅलेज, अध्यात्म चेतना संघ आदि के योग विद्यार्थियों ने भी भागीदारी की।