केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘महिला नेतृत्व: कोविड-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना’ पर आयोजित हुए एक वेबिनार को संबोधित किया। इस वेबिनार का आयोजन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से किया गया। इस अवसर पर शिक्षा राज्यमंत्री, श्री संजय धोत्रे, उच्च शिक्षा सचिव, श्री अमित खरे, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव, श्रीमती अनीता करवाल, यूजीसी के चेयरमैन, प्रो. डी पी सिंह, यूजीसी के सचिव, प्रो रजनीश जैन और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित हुए। इस वेबिनार में 43 महिला कुलपति और उच्च शिक्षण संस्थानों (एचएआइ) की 25 प्रिंसिपल भी ऑनलाइन रूप से शामिल हुईं।
महिला नेतृत्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, श्री पोखरियाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान अगर किसी के द्वारा सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाई गई तो वह कोई और नहीं बल्कि “माताएं” है। उन्होंने आगे कहा कि महिलाएं विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान, साहित्य और सामाजिक सेवाओं में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं जो कि उनके नेतृत्व क्षमता की उच्चतम गुणवत्ता का प्रदर्शन करता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 पर बात करते हुए, मंत्री ने कहा कि इस नीति में समाज की महिलाओं को सशक्त करने की भरपूर क्षमता है। उन्होंने इस बात की सराहना की कि आईआईटी और एनआईटी में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ रही है।
शिक्षा राज्यमंत्री, श्री संजय धोत्रे ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों द्वारा किए गए योगदानों का उत्सव केवल एक दिन तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कोविड-19 के दौरान अपने परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा, स्वच्छता, सफाई को बनाए रखने में महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका की सराहना की। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ‘जेंडर-इनक्लूजन फंड’ का गठन किया जाएगा, जिससे सभी लड़कियों के लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने की दिशा मे राष्ट्र की क्षमता का निर्माण किया जा सके।
इस अवसर पर यूजीसी के चेयरमैन, प्रो. डी पी सिंह ने कहा कि यूएनडीपी द्वारा ‘महिला नेतृत्व: कोविड-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना’ के विषय की घोषणा की गई है और यह महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के 65वें सत्र की प्राथमिकता वाले विषय के साथ भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के जेनरेशन समानता वाले मुख्य अभियान पर भी प्रकाश डाला, जिसमें महिलाओं को जीवन के समस्त क्षेत्रों में निर्णय लेने का अधिकार, समान वेतन, अवैतनिक देखभाल और घरेलू कामों में समानता का व्यवहार, महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसाओं की समाप्ति और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने वाली स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का आह्वान किया गया है।
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव, श्रीमती अनीता करवाल ने बल देकर कहा कि महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति करने के लिए और उन्हें नेतृत्व वाली भूमिका का निर्वहन करने में सक्षम बनाने के लिए संसाधनों तक उनकी पहुंच बनाने की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा सचिव, श्री अमित खरे ने बताया कि पिछले 4-5 वर्षों के दौरान लैंगिक समानता सूचकांक 1 प्रतिशत से बढ़कर वर्तमान समय में 1.01 प्रतिशत हो चुका है और इस उपलब्धि की यूनेस्को द्वारा भी सराहना की गई है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि महिला डीन और विभागों की प्रमुखों को भविष्य में कुलपति के रूप में नेतृत्व प्रदान करने वाली भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
चार विश्वविद्यालयों की महिलाएं, प्रो. नजमा अख्तर, कुलपति, जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई), प्रो. सुषमा यादव, कुलपति, भगत फूल सिंह (बीपीएस) महिला विश्वविद्यालय, प्रो. बलविंदर शुक्ला, कुलपति, एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा और प्रो. शालिनी भारत, निदेशक, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) ने भी इस वेबिनार की थीम पर बात की और कोविड-19 अवधि के दौरान प्राप्त हुए अपने अनुभवों को साझा किया। इस कार्यक्रम को कुलपतियों, प्रिंसिपलों, संकाय सदस्यों और छात्रों की द्वारा बड़ी संख्या में लाइव देखा गया।