नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज घोषणा की कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्र और राज्य सरकारों के कुछ संस्थानों द्वारा संचालित कुछ अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पूर्वव्यापी नियमित करने के लिए दिनांक 12 मई, 2020 को दो राजपत्रित अधिसूचनाएं जारी कीं। ये कार्यक्रम राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की ओर से औपचारिक मान्यता के बिना संचालित किए जा रहे थे। श्री निशंक ने बताया कि यह निर्णय विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखकर किया गया है, जिनके इसकी वजह से प्रभावित होने की संभावना थी।
पृष्ठभूमि :
एनसीटीई पूर्व-सेवा अध्यापक शिक्षा से संबंधित एनसीटीई द्वारा मान्यताप्राप्त पाठ्यक्रमों का संचालन करने वाली शैक्षणिक संस्थाओं को कानूनी तौर औपचारिक मान्यता प्रदान करती है। केवल एनसीटीई द्वारा मान्यताप्राप्त किसी पाठ्यक्रम को पास करने के पश्चात ही कोई व्यक्ति भारत में स्कूल अध्यापक के रूप में नियुक्त होने का कानूनी तौर पर पात्र बनता है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ध्यान में यह बात लाई गई थी कि कुछ केंद्र और राज्य सरकार की संस्थाओं ने अनजाने में विद्यार्थियों को ऐसे अध्यापक शिक्षा पाठ्यक्रमों में दाखिल कर लिया है, जिन्हें एनसीटीई की ओर से मान्यता प्रदान नहीं की गई है। इसकी वजह से इन विद्यार्थियों द्वारा भारत में स्कूल अध्यापक के रूप में रोजगार पाने के उद्देश्य से प्राप्त की गई अहर्ता अवैध हो गई है।
पाठ्यक्रमों को पूर्वव्यापी मान्यता प्रदान करना :
एनसीटीई अधिनियम, 1993 में संशोधन करने की पहल मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा ऐसे पाठ्यक्रमों को पूर्वव्यापी मान्यता प्रदान करने के लिए की गई। इस संशोधन को संसद के दोनों सदनों से पारित होने के पश्चात 11 जनवरी, 2019 को अधिसूचित किया गया था।
विशेषकर यह संशोधन केवल 2017-2018 शैक्षिक सत्र तक पूर्वव्यापी मान्यता प्रदान देने की अनुमति देता है, इस प्रकार यह केवल अतीत में प्राप्त की गई अहर्ताओं को ही नियमित करता है। यह संस्थाओं को भविष्य में गैरमान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों को संचालित करने की छूट देने और उसके बाद पूर्वव्यापी नियमन का रुख करने की पेशकश नहीं करता है।
लगभग 13000 विद्यार्थियों और लगभग 17000 सेवारत अध्यापकों सहित केंद्र और राज्य सरकार की सभी 23 संस्थाएं इससे लाभान्वित हुई हैं।
इन अधिसूचनाओं के परिणामस्वरूप प्रभावित विद्यार्थियों और सेवारत अध्यापकों द्वारा प्राप्त की गई अहर्ताएं अब कानून विधिमान्य हो गई हैं।