नई दिल्ली: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल (एलजी), श्री गिरीश चंद्र मुर्मू के साथ केंद्र शासित प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन पर चर्चा की। भारत सरकार देश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को आवश्यक बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसका मुख्य केंद्र बिंदु उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है। पेयजल की आपूर्ति एक सेवा का वितरण है, जिसमें आपूर्ति की गई जल की मात्रा, उसकी गुणवत्ता और समय-समय पर जलापूर्ति को सुनिश्चित किया जाता है, फ्लैगशिप कार्यक्रम जल जीवन मिशन (जेजेएम) का कार्यान्वयन किया जा रहा है। मिशन का उद्देश्य सार्वभौमिक कवरेज प्रदान करना है यानि गांव के प्रत्येक परिवार को उनके घरों में नल का कनेक्शन प्रदान करना है।
जम्मू और कश्मीर की योजना, केंद्र शासित प्रदेश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 2022 तक नल कनेक्शन प्रदान करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को 100 प्रतिशत पूरा करने का है। चालू वर्ष में, केंद्र शासित प्रदेश की योजना 3 जिलों, यानि गांदरबल, श्रीनगर और रायसी के सभी 5,000 गांवों को 100 प्रतिशत कवर करने का है। इस संदर्भ में, केंद्रीय मंत्री ने उप राज्यपाल के साथ केंद्र शासित प्रदेश में मिशन के प्रगति पर विस्तृत चर्चा की।
ग्रामीण लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए इस मिशन के महत्व पर बल देते हुए, श्री शेखावत ने मौजूदा जलापूर्ति योजनाओं को पुनःसंयोजित करने और बढ़ावा देने पर बल दिया और मौजूदा सार्वजनिक जल-प्राप्ति स्थल के द्वारा घरेलू नल कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए अभियान मोड में काम शुरू करने का आग्रह किया। उप राज्यपाल ने केंद्र शासित प्रदेश में मिशन के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए आश्वासन दिया, जिससे ग्रामीण इलाकों में घरेलू नल कनेक्शन उपलब्ध कराने के लक्ष्य को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा सके।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के 18.17 लाख ग्रामीण परिवारों में से केवल 7.96 लाख परिवारों के पास ही नल कनेक्शन उपलब्ध है। जम्मू-कश्मीर में 2020-21 के दौरान, 2.32 लाख घरों को नल कनेक्शन प्रदान करने की योजना है। वर्ष 2020-21 के लिए 681.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा मिलाकर इसके लिए 923 करोड़ रुपये उपलब्ध हो जाते हैं। श्री शेखावत ने केंद्र सरकार द्वारा इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए केंद्र शासित प्रदेश को हरसंभव सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता दोहराई। भारत सरकार द्वारा जल जीवन मिशन के लिए फंड उपलब्ध कराया जाता है, जो कि दिए गए नल कनेक्शनों तथा केंद्र और केंद्र शासित प्रदेश द्वारा उपलब्ध कराए गए धन के उपयोग के आउटपुट के आधार पर दिया जाता है।
केंद्रीय मंत्री ने ग्राम कार्य योजनाओं को तैयार करने के साथ-साथ ग्रामीण जल एवं स्वच्छता समिति/ जल समिति को ग्राम पंचायत की उप-समिति के रूप में तैयार करने पर बल दिया, जिसमें न्यूनतम 50 प्रतिशत महिला सदस्य होंगी, जो गांव में जल आपूर्ति अवसंरचना की योजना, डिजाइन, कार्यान्वयन और संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होंगी। सभी गांवों को ग्राम कार्य योजना (वीएपी) तैयार करनी होगी, जिसमें अनिवार्य रूप से पेयजल स्रोतों का विकास/ संवर्धन, जल आपूर्ति, धूसर-जल प्रबंधन और संचालन और रखरखाव जैसे घटक शामिल होंगे। 6,877 में से, 1,800 गांवों के लिए ग्राम कार्य योजना तैयार की जा चुकी है। जल जीवन मिशन को सभी गांवों में वास्तविक रूप से जन आंदोलन बनाने के लिए, सामुदायिक लामबंदी के साथ आईईसी अभियान की शुरूआत करने की आवश्यकता है।
इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि सभी पेयजल स्रोतों का, प्रत्येक वर्ष रासायनिक मापदंडों के लिए एक बार और जीवाणु संपर्कविकार के लिए दो बार (मानसून से पहले और बाद में) परीक्षण किए जाने की आवश्यकता है। इसके आगे, फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) के माध्यम से पानी के गुणवत्ता की निगरानी करने के लिए प्रत्येक गांव में कम से कम 5 व्यक्तियों, महिलाओं को वरियता, को प्रशिक्षण देने का भी अनुरोध किया गया। केंद्र शासित प्रदेश को अगले कुछ महीनों में अपने सभी प्रयोगशालाओं के लिए एनएबीएल से मान्यता प्राप्त करने के लिए कहा गया है।
सरकार द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि मौजूदा कोविड-19 महामारी की स्थिति के दौरान, प्राथमिकता के आधार पर ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएं, जिससे ग्रामीण लोगों को सार्वजनिक जल-प्राप्ति स्थल से पानी लाने की परेशानियों से छुटकारा प्राप्त हो सके।