लखनऊ: राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी, भारत की प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल जी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज यहां बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के 9वें दीक्षान्त समारोह में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर राष्ट्रपति जी ने विश्वविद्यालय परिसर में सावित्रीबाई फुले महिला छात्रावास का शिलान्यास किया।
दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति जी ने कहा कि विश्वविद्यालय बाबासाहेब के विचारों के अनुरूप, शिक्षा के माध्यम से अनुसूचित जातियों और जनजातियों के समावेशी विकास हेतु विशेष योगदान दे रहा है। इन वर्गों के विद्यार्थियों के लिए इस विश्वविद्यालय में प्रवेश हेतु 50 प्रतिशत सीटों का आरक्षण तथा अन्य सुविधाओं के विशेष प्रावधानों से ऐसे विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा के अवसर बढ़े हैं। साथ ही, इन विद्यार्थियों में से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को अलग से पदक प्रदान करके प्रोत्साहित किया जाना भी एक सराहनीय पहल है। यह सभी प्रयास इस विश्वविद्यालय की समावेशी संस्कृति को मजबूत बनाएंगे। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय समतामूलक समाज के बाबासाहेब के स्वप्न को पूरा करने की दिशा में सराहनीय योगदान दे रहा है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से भारत को एक शिक्षा महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के अभियान का शुभारम्भ किया गया है। यह शिक्षा नीति, 21वीं सदी की आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप आज की युवा पीढ़ी को सक्षम बनाने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल जी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी एवं प्रदेश के अधिकारियों व कर्मचारियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय और व्यक्तिगत उन्नति के लिए शिक्षा ही सबसे प्रभावी माध्यम होती है। शिक्षा के विकास हेतु किए गए इन प्रयासों की भरपूर सराहना की जानी चाहिए। हमारे सांस्कृतिक व नैतिक मूल्यों से प्रेरणा प्राप्त करते हुए, आधुनिक विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने का हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य तभी सिद्ध होगा, जब सभी विद्यार्थी एवं शिक्षक पूरी निष्ठा के साथ प्रयास करेंगे।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि आज सावित्रीबाई फुले महिला छात्रावास का शिलान्यास करके गौरव की अनुभूति हो रही है। सावित्रीबाई फुले जी ने आज से लगभग 175 वर्ष पहले बेटियों की शिक्षा के लिए जो क्रांतिकारी कदम उठाए थे, उनका महत्व तब और भी अधिक स्पष्ट होता है, जब हम तत्कालीन समाज में महिलाओं की स्थिति के विषय में अध्ययन करते हैं। उन्होंने कहा कि आज हमारी बेटियां हमारे समाज और देश का गौरव पूरे विश्व में बढ़ा रही हैं। हाल ही में सम्पन्न ओलम्पिक खेलों में हमारी बेटियों के प्रदर्शन से पूरे देश में गर्व की भावना का संचार हुआ है। आज प्रत्येक क्षेत्र में हमारी बेटियों ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज की है। समान अवसर मिलने पर प्रायः हमारी बेटियां हमारे बेटों से भी आगे निकल जाती हैं। आज के इस समारोह में भी पदक विजेताओं में बेटियों की संख्या अधिक है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तन को एक स्वस्थ समाज और उन्नत राष्ट्र की दिशा में बढ़ते हुए कदम के रूप में देखा जाना चाहिए।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि बाबासाहेब ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान के शिल्पकार होने के साथ-साथ बैंकिंग, इरिगेशन, लेबर मैनेजमेण्ट सिस्टम, रेवेन्यू शेयरिंग सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था आदि क्षेत्रों में मूलभूत योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, विधिवेता, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, समाज शास्त्री व समाज सुधारक तो थे ही, साथ ही संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्रों में भी उन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया था। उनके अवदान के विषय में गहन और विस्तृत अध्ययन करना राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि आज पूरे विश्व में जीवन के लगभग सभी पहलुओं में अभूतपूर्व परिवर्तन हो रहे हैं। ऐसे समय में विद्यार्थियों को सचेत और जागरूक रहते हुए आज के अत्यन्त गतिशील वैश्विक परिदृश्य में अपना स्थान बनाना है। साथ ही, एक बेहतर समाज और अपने देश के निर्माण में योगदान देना है। उन्होंने कहा कि हम सबको अपना मन पवित्र करना चाहिए, हमारा झुकाव सदाचार की ओर होना चाहिए। शिक्षा के साथ-साथ मनुष्य का शील भी सुधरना चाहिए। शील के बगैर शिक्षा की कीमत शून्य है। ज्ञान तलवार की भांति है, यदि किसी व्यक्ति के हाथ में तलवार है, उसका सदुपयोग अथवा दुरुपयोग करना उस व्यक्ति के शील पर अवलम्बित है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि कोई शिक्षित व्यक्ति जिसका शील अच्छा है वह अपने ज्ञान का उपयोग लोगों के कल्याण हेतु करेगा। परन्तु यदि उसका शील ठीक नहीं है, तब वह अपने ज्ञान का उपयोग लोगों के अकल्याण में करेगा। उन्होंने कहा कि जिन्हें स्वार्थ के अतिरिक्त और कुछ नहीं दिखता है, जिन्हें थोड़ा भी परमार्थ करना नहीं आता है, ऐसे लोग केवल शिक्षित हो गए, तो क्या लाभ होगा।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि बाबासाहेब ने भगवान बुद्ध, संत कबीर और ज्योतिबा फुले को अपना गुरु माना था। संत कबीर की वाणी के अथाह सागर से बाबासाहेब ऐसे उद्धरणों को चुनते थे, जो व्यक्ति और समाज को सीधे-सीधे समझ में आएं और उपयोगी हो। बाबासाहेब को संत कबीर का ऐसा ही एक कथन बहुत प्रिय था: ‘कबीर कहे, कुछ उद्यम कीजे, आप खाय, औरन को दीजे।’ इस पंक्ति के माध्यम से बाबासाहेब ने उद्यमशीलता, आत्म और स्वयं के उत्थान के साथ-साथ समाज के कल्याण की भावना साथ कार्य करने की प्रेरणा दी है। बाबासाहेब कठोर परिश्रम, और स्वरोजगार के पक्षधर थे। उनकी आर्थिक सोच निजी उद्यम को प्रोत्साहित करने की थी। आज यदि बाबासाहेब होते तो उन्हें यह देखकर बहुत प्रसन्नता होती कि भारत के हजारों उद्यमी युवा स्वरोजगार प्रति उत्साहित और बहुत से लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारत रत्न डॉ0 भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केन्द्र, लखनऊ का इस विश्वविद्यालय के साथ तालमेल बनाया जाए और बाबासाहेब के विचारों को प्रसारित करने के संयुक्त प्रयास किए जाएं। इससे उनके बहुआयामी व्यक्तित्व और योगदान के विषय में सबको जानकारी मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के प्रतीक चिन्ह् में तीन सारगर्भित शब्द हैं-प्रज्ञा, शील और करुणा। भगवान बुद्ध के आदर्शों को व्यक्त करने वाले इन शब्दों में भारत के व्यापक जीवन-मूल्य समाहित हैं। हम सभी को, विशेषकर युवा पीढ़ी को, इन जीवन मूल्यों को आचरण में ढालने की आवश्यकता है। शिक्षा अथवा विद्या की सार्थकता के विषय में समझाते हुए बाबासाहेब ने भगवान बुद्ध द्वारा प्रतिपादित प्रज्ञा, शील और करुणा, इन आदर्शों की बहुत ही सरल व्याख्या प्रस्तुत की थी। उन्होंने कहा था कि विद्या के साथ-साथ प्रज्ञा यानि समझदारी, शील यानि सदाचरण और करुणा यानि समस्त मानवजाति के प्रति प्रेम भाव की भावना का होना आवश्यक है।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि आज भारत में बहुत ही अच्छा स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम है। एक आकलन के अनुसार, देश में लगभग 100 यूनिकॉर्न यानि ऐसे स्टार्ट-अप जिनमें से प्रत्येक का मूल्यांकन एक बिलियन डॉलर से अधिक है और उन सबका मार्केट कैपिटलाइजेशन कुल मिलाकर लगभग 18 लाख करोड़ रुपए है। यूनिकॉर्न्स की कुल संख्या के आधार पर आज भारत का विश्व में तीसरा स्थान है। अधिकांश यूनिकॉर्न्स युवाओं द्वारा स्थापित हैं। यह युवा शक्ति ही हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत है। आप सब भी ऐसे युवा उद्यमियों से प्रेरणा लेकर जॉब-सीकर होने के बजाय जॉब-क्रिएटर बनने के विषय में सोचें, कार्य करें और जीवन में आगे बढ़े। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस विश्वविद्यालय में इनोवेशन और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए सुविचारित प्रयास किए जा रहे हैं।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि आज देश की आधी से अधिक आबादी की आयु 25 वर्ष से कम है। यहां उपस्थित अधिकांश युवा भी 25 वर्ष से कम आयु के ही होंगे। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि आजादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में पूरे देश में चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव के बारे में वहां उपस्थित विद्यार्थीगण अवगत होंगे और किसी न किसी रूप में भागीदारी भी कर रहे होंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में जब हमारा देश आजादी की शताब्दी मनाएगा, तब आप जैसे युवा देश को नेतृत्व दे रहे होंगे। युवा पीढ़ी के प्रयासों से वर्ष 2047 का भारत सब प्रकार के भेदभाव से मुक्त, एक विकसित देश के रूप में प्रतिष्ठित होगा। भविष्य के उस भारत में न्याय, समता और बन्धुत्व के संवैधानिक आदर्शों को हम पूरी तरह अपने व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन में ढाल चुके होंगे। हम एक समावेशी विश्व व्यवस्था में निर्णायक भूमिका निभा रहे होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे समतामूलक एवं सशक्त भारत के निर्माण के लिए सभी को आज से ही संकल्पबद्ध होकर जुट जाना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी भारत को विकास की ऐसी ऊंचाइयों तक ले जाएगी, जो हमारी कल्पना से भी बहुत ऊपर होगा।
राष्ट्रपति जी को विश्वविद्यालय की ओर से स्मृति चिन्ह् भेंट कर सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति जी ने बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के शैक्षणिक सत्र 2019-20 में सफल हुए कुछ विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान कर उन्हें सम्मानित भी किया।
इस अवसर पर बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलाधिपति डॉ0 प्रकाश बरतूनिया, कुलपति प्रो0 संजय सिंह सहित विश्वविद्यालय के पदाधिकारीगण एवं अनेक विद्यार्थी उपस्थित थे।