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पशुओं को संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लायी जाये: आयुक्त डा0 सुरेश एस0 हन्नप्पागोल

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: भारत सरकार के पशुपालन आयुक्त डा0 सुरेश एस0 हन्नप्पागोल ने कहा कि ग्लैण्डर्स रोग से संक्रमित घोड़ों एवं खच्चरों के मालिकों को मुआवजा धनराशि बढ़ाने पर भारत सरकार विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में परीक्षण हेतु लैब स्थापित करने के लिए आर0के0वी0वाई0 के तहत धनराशि की मांग की जाये। उन्होंने प्रदेश की विभिन्न योजनाओं हेतु भारत सरकार द्वारा यथा सम्भव सहयोग दिये जाने का आश्वासन दिया।

डा0 सुरेश एस0 हन्नप्पागोल आज यहां पशुपालन निदेशालय में विश्व जूनोसिस दिवस के अवसर पर ग्लैण्डर्स/फ़ार्सी सर्विलियेन्स योजनान्तर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव पशुधन डा0 सुधीर एम0 बोबड़े ने कहा कि पशुजनित रोगों के संक्रमण से विभिन्न जानलेवा बीमारियां फैलती है। इसीलिए पशुपालन विभाग नयी प्रौद्योगिकी और वैक्सीन का प्रयोग करते हुए पशुपालकों को पशुओं में फैलने वाली विभिन्न संक्रामक बीमारियों के प्रति जागरूक करें। उन्होंने अधिकारियों को टीकाकरण कार्यक्रम में तीव्र गति लाने के सख्त निर्देश दिये।

डा0 बोबडे़ ने प्रदेश में बेसहारा और निराश्रित पशुओं की समस्या के दीर्घकालिक समाधान के लिए किये जा रहे प्रयासों पर चर्चा की। उन्होंने वर्गीकृत वीर्य उत्पादन एवं कृत्रिम गर्भाधान पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि पशुओं को विभिन्न रोगों से बचाने और उनमें उत्पादकता का स्तर बढ़ाने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार को मिलकर विभिन्न आधुनिक तकनीकों एवं शोधों का उपयोग करते हुए कार्य करना होगा।

इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जूनोटिक रोग की रोकथाम हेतु किये जा रहे उपायों एवं ग्लैण्डर्स बीमारी की रोकथाम में ब्रूक्स इण्डिया के योगदान, ग्लैण्डर्स रोग से ग्रसित पशुओं के निस्तारण एवं ग्लैण्डर्स बीमारी के प्रभावी रोकथाम पर चर्चा हुई।

उल्लेखनीय है कि ग्लैण्डर्स/फार्सी घोड़ों एवं खच्चरों में होने वाली एक जानलेवा बीमारी है, जो पशुओं से मनुष्यों में भी फैलती है। यह बीमारी भारत सरकार द्वारा नोटिफाइड है। इस बीमारी की जांच हेतु पूरे प्रदेश से घोड़ों की सीरम सैम्पिल राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार भेजा जाता है। जो सैम्पिल पाॅजिटिव होता है, उन घोड़ों की यूथेनेशिया (दर्द रहित मृत्यु) अनिवार्य रूप से दी जाती है। अभी तक प्रदेश में 48 जिले प्रभावित है। भारत सरकार के निर्देश के क्रम में सीरम सर्विलियेन्स कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

कार्यक्रम में डा0 सी0एस0 यादव, निदेशक, प्रशासन एवं विकास, पशुपालन विभाग, उ0प्र0, डा0 एस0के0 श्रीवास्तव, निदेशक, रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र, पशुपालन विभाग, उ0प्र0, डा0 बी0एन0 त्रिपाठी, निदेशक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार, डा0 प्रवीण मलिक, निदेशक, राष्ट्रीय पशु स्वास्थ्य संस्थान, बागपत, डा0 एस0एफ0 जमा, ब्रूक्स इण्डिया, डा0 आर0सी0 सिंह, नोडल अधिकारी, आर0के0वी0वाई0, कृषि विभाग, लखनऊ, डा0 सुरेश चन्द्र, पशुपालन सलाहकार, स्वास्थ्य विभाग भी उपस्थित थे।

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