देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि सहिष्णुता हमारे विश्वास व रग-रग में है। हमारे देश में वही शासन कर सकता है जो कि
दूसरो को समझने का काम करें, सभी के विश्वास व आस्था का सम्मान करें। पीटी सेमिनरी आॅडिटाॅरियम राजपुर रोड़ में ‘‘विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस’’ पर उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग द्वारा आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि भारत के इतिहास में उन्हीं शासकों को महान कहा गया है जो इंसानियत से प्रेम करते थे, दूसरों की कद्र करते थे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डा.नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा को कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि इस परिचर्चा से हमारी सोच को नई रंगत मिली है। श्रीराम को मर्यादा पुरूषोत्तम इसलिए कहा गया क्योंकि उन्होंने उस समय जनता की आवाज को सुनने का काम किया। शासकों में अशोक व अकबर को महान कहा गया है। ये इंसानियत में विश्वास करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी संख्या बल कम होते हुए भी लम्बे समय तक सरकार चलाने में सफल रहे क्योंकि उन्होंने भारत की तासीर को समझा और दूसरों की भावनाओं का सम्मान किया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि शक्ति के बल पर दूसरों को दबाने की कोशिशों को हमारे देश व समाज के अंदर से ही जवाब मिलता है। हमारा संविधान जिस रास्ते पर हमें ले जाना चाहता है, उस रास्ते से भटकाने की कोशिशें करने वाले कभी सफल नहीं हो सकते हैं। मेजोरिटी तभी काम कर सकती है जबकि माइनोरिटी को सुनने का काम करे। भारत के मिजाज को समझकर ही शासन किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराख्ण्ड में हमेशा से ही सद्भाव की परम्परा रही है। चारधाम के समान ही हेमकुण्ड साहिब, रीठा साहिब, पिरान कलियर साहिब हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमने प्रत्येक विभाग को निर्देशित किया है कि अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाकों में अपने बजट का कम से कम 16 प्रतिशत अवश्य व्यय करें। हमारी सरकार यह आश्वस्त करना चाहती है कि अल्पसंख्यक समुदायों की पूरी भागीदारी के साथ राज्य के सामाजिक व आर्थिक एजेंडे को आगे ले जाया जाएगा। सरकार व समाज का दायित्व है कि जो लोग अपनी आवाज को प्रभावशाली तरीके से उठा नहीं सकते हैं, उनकी आवाज को सुना जाए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डा.नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा द्वारा प्रस्तुत विभिन्न मांगों पर अपनी सैद्धांतिक सहमति देते हुए कहा कि इन्हें पूरा करने के लिए हरसम्भव प्रयास किया जाएगा। डा. बिंद्रा ने अल्पसंख्यकों के लिए स्वरोजगार की ऋण व अनुदान योजना में लाभार्थी के लिए आय सीमा को बढ़ाए जाने, कब्रिस्तानों के लिए भूमि उपलब्ध करवाए जाने, चारदीवारी के लिए अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत किए जाने, मदरसा बोर्ड एक्ट को जल्द लागू करने, लोक सेवा आयोग, अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड में अल्पसंख्यकों को प्रतिनिधित्व दिए जाने, कालसी में अशोक के शिलालेख को बौद्ध पर्यटन सर्किट से जोड़े जाने के लिए आग्रह किया था।