देहरादून: अपनी मांगों को लेकर संसदीय सचिव राजकुमार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल स्वास्थ्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी से मिला सभी ने स्वास्थ्य मंत्री से दून चिकित्सालय को पूर्व की भांति जिला चिकित्सालय बनाये जाने की मांग मंत्री से की।
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि दून चिकित्सालय को मेडिकल काॅलेज बनने से इसका प्रतिकूल असर जिला चिकित्सालय के मरीजों पर पड़ रहा है जबकि दून अस्पताल लगभग 100 वर्षों से अधिक पुराना और ऐतिहासिक अस्पताल है। इस अस्पताल में प्रतिदिन दून के साथ-साथ समूचे गढ़वाल मण्डल एवं अन्य जिलों के मरीज विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए पहुंचते हैं। प्रदेश की राजधानी होने के नाते जिला चिकित्सालय को शहर के बीच में ही होना चाहिए। यहां पहुंचने वाले मरीज आसानी से विभिन्न प्रकार के परिवहन(ट्रेन/बस/विक्रम/टैक्सी एवं नीजि वाहन) के साधनों का उपयोग कर यहा तक पहुंचते हैं और ऐसे में यदि कहीं दून जिला चिकित्सालय अन्यत्र बना दिया गया तो मरीजों की परेशानियाॅं बढ़ जाएंगी। जिला चिकित्सालय को पूर्ववत रखा जाना आवश्यक है।
साथ ही यह भी कहा कि गाँधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय डिस्ट्रीक्ट आई रिलीव सोसायटी, देहरादून के द्वारा संचालित किया जाता रही था। नेत्र चिकित्सालय की सम्पत्ति को शासन द्वारा अधिग्रहित किये जाने हेतु प्रस्ताव पारित किया गया। यह भी निश्चिय हुआ कि अधिग्रहित सम्पत्ति पर नेत्र चिकित्सालय चलाया जाये और भविष्य में भी उसका नाम गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय रहे जिसका शिलान्यास अक्टूबर 2007 में तत्कालीन मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा किया गया। इसे वर्ष 2010 तक पूर्ण होना था। अभी तक चिकित्सालय का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। केन्द्र सरकार से उक्त संस्थान के निर्माण हेतु रू 9 करोड़ 87 लाख, माह जुलाई, 2014 में अवमुक्त हो चुका है किन्तु निर्माण कार्य अभी तक अधूरा है। प्रतिनिधिमण्डल ने उक्त संस्थान में नेत्र बैंक के साथ-साथ यदि सम्भव हो तो कैंसर ग्रस्त रोगीयों के लिए कैंसर यूनिट भी स्थापित किये जाने किया जाये व राज्य सरकार द्वारा संस्थान को स्वयं संचालित किया जाए। स्वास्थ्य मंत्री ने प्रतिनिधिमंण्डल को दून चिकित्सालय को पूर्व की भांति जिला चिकित्सालय के रूप में रखे जाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए आश्वस्त किया। इस अवसर पर पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा, नीनू सहगल, श्रीमती बीना बिष्ट, गंगा क्षेत्री, सीताराम नौटियाल, रमेश बुटोला, निखिल कुमार एवं मंगेश कुमार मौजूद थे।