देहरादून: श्रम, सेवायोजन तथा एम.एस.एम.ई. मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद् के शासी निकाय की सातवीं बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। इस अवसर पर श्रम एवं सेवायोजन मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल ने कहा कि एमएसएमई स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निर्देश दिए, कि स्थानीय उत्पादों से जुड़े लघु उद्यमियों को कच्चा माल की उपलब्धता कराने के साथ-साथ उन्हें विक्रय के लिए बाजार की भी व्यवस्था करें। उन्होंने स्थानीय उत्पादों को बाजार में प्रतियोगी बनाने के लिए उनमें डिजाईन तथा गुणवत्ता का समावेश करने के निर्देश दिए, ताकि लघु उद्यमियों को उनकी मेहनत का पूरा-पूरा लाभ दिलाया जा सकें।
बैठक में अध्यक्ष शासी निकाय को अवगत कराया गया कि भारत सरकार की एकीकृत हस्तशिल्प विकास एवं प्रोत्साहन योजना के लिए वर्ष 2014-15 में स्वीकृत 30 करोड़ की परियोजना के सापेक्ष 15 करोड़ रूपये की धनराशि जारी की गई, जिसमें 11 जनपदों के 15 विकास खण्ड़ों के 24,300 विभिन्न शिल्पों यथा ऐंपण, तांबे के बर्तन बनाने, काष्ठ कला, प्रिंटिंग रिंगाल बैम्बू, माटी कला आदि के कार्यों में लगे शिल्पियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। योजना में विक्रय केन्द्र स्थापना, डिजाईन कार्यशाला, टूल किट वितरण आदि कार्य किए जाने है।
भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा संचालित अनुसंधान एवं विकास योजना के अंतर्गत उत्तराखण्ड शिल्प का सर्वे एवं अध्ययन की प्रथम किस्त 6 लाख 95 हजार 2 सौ रूपये जारी की जा चुकी है। शेष इतनी ही राशि शासी निकाय की बैठक में और स्वीकृत की गई। योजना में राज्य के अन्तर्गत चल रहें लघु उद्योगों का सर्वें एवं अध्ययन का कार्य किया जा रहा है। राज्य के बुनकरों, शिल्पियों एवं छीपियों द्वारा उत्पादित माल के विपणन हेतु उच्च कोटि व गुणवत्ता युक्त उत्पादों को परिषद् द्वारा राज्य के विभिन्न स्थानों तथा बाहर स्थापित हिमाद्रि इम्पोरियम के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है। कैबिनेट मंत्री श्री दुर्गापाल ने हिमाद्रि इम्पोरियम के माध्यम से इस वर्ष 50 लाख रूपये बिक्री का लक्ष्य बढ़ाने के निर्देश दिये। गत वर्ष हिमाद्रि इम्पोरियम के माध्यम से 40 लाख रूपये की बिक्री हुयी थी। योजना में आॅनलाईन मार्केटिंग का भी प्रविधान किया गया है, जो स्नेपडील के माध्यम से किया जा रहा है।
राज्य के शिल्पों के विकास, डिजाईन विकास एवं अनुसंधान आदि के क्षेत्रों में प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्व विद्यालयों के साथ समन्वय एवं सहयोग कर कार्य किए जाने विषय पर चर्चा के दौरान अध्यक्ष शासी निकाय श्री दुर्गापाल ने नैनीताल के कसाड़ देवी एवं उत्तरकाशी के डूंडा को ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना के अन्तर्गत वस्त्राटन पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। इसी के साथ ही उत्तरकाशी में लघु उद्योग उत्पादन एवं प्रशिक्षण केन्द्र में स्थित हिमाद्रि इम्पोरियम की साज-सज्जा हेतु रिवोलविंग फंड के ब्याज मद से 7,97,259 रूपये के अवशेष राशि की स्वीकृति अध्यक्ष द्वारा दी गई।
परिषद को इस वर्ष मिले 50 लाख रूपये के धनराशि को कम बताते हुए इसे बढ़ाने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश श्रम मंत्री श्री दुर्गापाल ने दिए। उन्होंने स्थानीय उत्पादो की बिक्री बढ़ाने के लिए जीएमवीएन के प्रदेश एवं प्रदेश से बाहर स्थित पर्यटक आवास गृहों में उत्पादों की बिक्री का प्राविधान करने तथा स्थानीय बेराजगारो को आर्थिकी का लाभ दिलाने के लिए एमएसएमई के साथ जीएमवीएन को संयुक्त अध्ययन कर अन्य लघु उद्योगों की संभावनाओं का पता लगाने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए। कैबिनेट मंत्री ने स्थानीय उत्पादों यथा रामदाना के लड्डू का प्रसाद तथा ऊन एवं रिंगाल से बने स्थानीय उत्पादों के प्रचार-प्रसार एवं विपणन के निर्देश भी एम.डी. जीएमवीएन को दिए।
इस अवसर पर दून विश्वविद्यालय द्वारा उत्तराखण्ड शिल्प के अध्ययन एवं विकास पर स्लाईड शो के माध्यम से प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत किया गया। इसके साथ लघु उद्योग से जुड़ी डिजाईनर मोरवी गुप्ता एवं अनिता गुप्ता द्वारा विभिन्न जनपदों में लघु उद्योग पर उनके द्वारा संचालित कार्यशालाओं तथा सम्भावित उद्यमों के बारे में प्रस्तुतीकरण किया गया। शासी निकाय की बैठक का संचालन मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं अपर निदेशक एमएसएमई डाॅ. सुधीर नौटियाल ने करते हुए निकाय के एजेन्डावार बिन्दुओं पर अध्यक्ष/सदस्य शासी निकाय के सदस्यों का ध्यान आकृष्ट किया।
इस अवसर पर अपर सचिव एवं निदेशक उद्योग आर.राजेश कुमार, प्रबंधन निदेशक जीएमवीएन अतुल कुमार गुप्ता, संयुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी खादी बोर्ड बी.एस.खत्री, उप सचिव ग्राम्य विकास जी.एल.शर्मा, जीएम जीएमवीएन बी.एल.राणा सहित शासी निकाय के सदस्य उपस्थित थे।