केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश में आधुनिक कृषि शिक्षा, किसान बनाने वाली होना चाहिए, जिसका सिलेबस वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप तैयार किया जाना चाहिए। कृषि शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी खेती की ओर आकर्षित होना चाहिए। श्री तोमर ने यह बात आज दिल्ली में, देशभर के राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आर्ईसीएआर) के संस्थानों के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलनमें मुख्य अतिथि के रूप में कही।
समारोह में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी व सुश्री शोभा करंदलाजे तथा आर्ईसीएआर के महानिदेशक व डेयर के सचिव डॉ. त्रिलोचन महापात्र विशेष रूप से उपस्थित थे।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि हमारा कृषि क्षेत्र व्यापक व बहुआयामी है, कल्पना की जा सकती है कि इतने विशाल कृषि क्षेत्र को सरकार की सहायता नहीं होती तो स्थिति क्या होती। श्री तोमर ने कहा कि आज अधिकांश खाद्यान्न उपज में हमारा देश दुनिया में नंबर एक या दो पर होने के बावजूद कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव, अर्थात समग्र क्रांति की जरूरत है। कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों में कुछ ऐसे भी हैं, जिन पर पहले अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया, जबकि इन्हीं का देश की जीडीपी में अधिक योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों से कृषि क्षेत्र में हमारी प्रतिस्पर्धा में हम लगभग बराबर या अच्छी स्थिति में हैं लेकिन अब हमें कृषि क्षेत्र व इसके साथ-साथ देश को आत्मनिर्भर बनाना है और श्रेष्ठ रूप में स्थापित करने के लिए विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा में खरा उतरना होगा। श्री तोमर ने कहा कि अब भारत उस स्थिति में नहीं है कि किसी की दया का पात्र हो, बल्कि अब हम विकसित से विकसित देशों से मजबूती से मुकाबला करने की सक्षम स्थिति में खड़े है।
श्री तोमर ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों का कृषि भूमि के साथ ही मानव शरीर पर दुष्प्रभाव होता है। अब आर्गेनिक के साथ ही प्राकृतिक खेती की बात जोर-शोर से चल रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में पहल करते हुए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए मिशन लांच किया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी चाहते हैं कि हमारे किसान समृद्ध हो और कृषि व देश आत्मनिर्भर बनें, इसके लिए एक साथ कई प्लेटफार्म पर काम किया जा रहा है। श्री तोमर ने प्राकृतिक खेती के संदर्भ में कहा कि सृष्टि का चक्र निरंतर घूमता रहता है। सभी कुलपति, निदेशक व वैज्ञानिकगण प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पूरे मनोयोग से काम करें। उन्होंने आईसीएआर के सेवानिवृत्त अधिकारियों-कमर्चारियों को कृषि क्षेत्र की प्रगति के लिए जोड़ने का आह्वान करते हुए उनका सम्मेलन बुलाने का सुझाव भी दिया। साथ ही, देश में कृषि क्षेत्र की प्रगति में आईसीएआर के अभूतपूर्व योगदान की खुलकर सराहना की।
केंद्रीय मंत्री श्री रूपाला ने खेती में आए काफी सारे बदलावों को सिलेबस में शामिल करने का सुझाव देते हुए कहा कि निर्यात योग्य एक्वाकल्चर के बीज विकसित करने के संबंध में भी आईसीएआर को काम करना चाहिए, वहीं विद्यार्थियों को खेत में जाकर काम करने की रूचि जागृत करने के लिए प्रयास किए जाना चाहिए। श्री रूपाला ने कहा कि किसानों व विद्यार्थियों को मिला देने से काफी परिवर्तन आएगा। उन्होंने कहा किआईसीएआर को देश की आजादी के अमृत महोत्सव के कालखंड को चिरस्मरणीय बनाने के लिए कार्य करना चाहिए।
राज्य मंत्री श्री चौधरी ने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों व आईसीएआर के संस्थानों ने कोरोना संकट के दौरान भी बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने दलहन-तिलहन मिशन पर फोकस करते हुए किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दिया, जिसके लिए प्रधानमंत्री जी ने मार्गदर्शन दिया है। श्री चौधरी ने कृषि शोध को सभी किसानों तक पहुंचाकर उन्हें लाभान्वित करने तथा नई शिक्षा नीति में वोकेशनल शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
प्रारंभ में डेयर के अपर सचिव व आईसीएआर के सचिव श्री संजय गर्ग ने स्वागत भाषण दिया। आईसीएआर के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डा. आर सी अग्रवाल ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए गए, साथ ही विविध प्रकाशनों व प्रौद्योगिकियों का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर सभी वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक उपस्थित थे।