कोलंबो. भारत का दक्षिणी पड़ोसी देश श्रीलंका (SriLanka Crisis) अपनी आजादी के बाद से अब तक का सबसे गंभीर आर्थिक संकट झेल रहा है. यहां महंगाई दर 17% के पार पहुंच चुकी है.
बुधवार से 10 घंटे का पावर कट शुरू हो गया है. लोगों के पास अंधेरे में रहने के अलावा कोई चारा नहीं है. इसलिए मोमबत्ती भी बाजार में मिल रही. जरूरी सामान 4 गुना महंगे हो गए हैं. ऐसे में लोगों का गुस्सा सड़कों पर फूट रहा है.
महंगाई दर 17.5% तक पहुंची
श्रीलंका के पास इस समय विदेशी मुद्रा भंडार नहीं है. ऐसे में वह न तो ईंधन खरीद पा रहा है, न ही खाद्य पदार्थ और न ही दवाएं. विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने के लिए श्रीलंका ने मार्च 2020 में चीजों के आयात पर रोक लगा दी थी. अब हालात ये है कि महंगाई दर 17.5% तक पहुंच गई है. थर्मल पावर प्लांट्स के पास ईंधन नहीं है जिसकी वजह से रोजाना पांच-पांच घंटे तक बिजली काटी जा रही है.
श्रीलंका के ऊपर 51 अरब डॉलर का कर्ज
श्रीलंका के ऊपर 51 अरब डॉलर का कर्ज है और क्रेडिट एजेंसियों का अनुमान है कि ये देश इस कर्ज को चुकाने में असमर्थ हो सकता है. श्रीलंका ने चीन से भी मोटा कर्ज लिया है और अब ये देश चाहता है कि इस कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग की जाए.
पैरासिटामोल की 10 गोली देने पड़े 450 रुपये
पैरासिटामोल की 10 से 12 पत्ती की गोली के लिए 420 से 450 रुपये देने पड़ रहे हैं और कई दवाइयां तो मिल ही नहीं रहीं. अस्पतालों में जरूरी उपकरण नहीं होने की वजह से सर्जरी और ऑपरेशन रोके गए हैं.
चीन की चाल
श्रीलंका के कुल विदेशी कर्ज का करीब 10 प्रतिशत चीन ने रियायती ऋण के नाम पर दे रखा है. इसके अतिरिक्त कॉमर्शियल लोन चीन की सरकारी बैंकों ने दिए हैं. वित्तीय संकट पैदा हुआ तो श्रीलंका को देश के दक्षिणी हिस्से में बने हंबनटोटा पोर्ट का नियंत्रण 99 साल के लिए चीन को सौंपना पड़ा. गौर करने वाली बात है कि यह पोर्ट भी चीन के पैसों से ही बना था और इसे अनावश्यक खर्च की तरह देखा गया था, खासतौर से ऐसे समय में जब देश की अर्थव्यवस्था संकट में दिखाई दे रही थी.
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