देश की तैयारी को मजबूत बनाने के उद्देश्य से बच्चों में कोविड-19 संक्रमण की समीक्षा और महामारी पर नए सिरे से विचार करने के लिए एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया है। इस समूह ने ऐसे संकेतों का परीक्षण किया है, जो 4-5 महीने पहले तक उपलब्ध नहीं थे। इसने उपलब्ध डाटा, रोग संबंधी रूपरेखा, देश के अनुभव, रोग की गतिशीलता, वायरस की प्रकृति व महामारी पर भी विचार किया है और दिशानिर्देश तैयार किए हैं, जिन्हें जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। राष्ट्रीय मीडिया केंद्र, पीआईबी दिल्ली में आज कोविड-19 पर हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संवाददाता सम्मेलन में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, “जहां हम इस क्षेत्र में व्यवस्थित रूप से वैज्ञानिक घटनाक्रमों की समीक्षा कर रहे हैं, वहीं हालात का जायजा लेने के लिए समूह का गठन किया गया है।”
कोविड-19 बाल चिकित्सा पर बढ़ते जोर का उल्लेख करते हुए, उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों के लिए जरूरी देखभाल और अवसंरचना में कोई कमी नहीं होगी, जो संक्रमित हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “बच्चों में कोविड-19 अक्सर स्पर्श से फैलता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की कम ही जरूरत होती है। हालांकि, महामारी विज्ञान की गतिशालता या वायरल व्यवहार में बदलावों से हालात में बदलाव हो सकता है और संक्रमण बढ़ सकता है। अभी तक बाल चिकित्सा अवसंरचना पर कोई अनचाहा बोझ नहीं पड़ा है। हालांकि, यह संभव है कि 2-3 प्रतिशत संक्रमित बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है।”
कोविड-19 बाल चिकित्सा के दो रूप
डॉ. पॉल ने बताया कि बच्चों में कोविड-19 के दो रूप हो सकते हैं :
- एक रूप में, संक्रमण, खांसी, बुखार और निमोनिया जैसे लक्षण हो सकते हैं, जिनके चलते कुछ मामलों में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है।
- दूसरे मामले में कोविड होने के 2-6 हफ्ते बाद, जो ज्यादा ज्यादातर स्पर्श से हो सकता है, बच्चों में कम अनुपात में बुखार, शरीर पर लाल चकत्ते और आंखों में सूजन या कंजक्टिवाइटिस, सांस लेने में परेशानी, डायरिया, उलटी आदि लक्षण नजर आ सकते हैं। यह फेफड़ों को प्रभावित करने वाले निमोनिया तक सीमित नहीं हो सकते हैं। यह शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैलता है। इसे मल्टी-सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम कहा जाता है। यह कोविड के बाद का एक लक्षण है। इस बार, वायरस शरीर में नहीं मिलेगा और आरटी-पीसीआर जांच भी निगेटिव आएगी। लेकिन एंटीबॉडी परीक्षण में पता चलेगा कि बच्चा कोविड से संक्रमित है।
कुछ बच्चों में पाई जाने वाली इस खास बीमारी के उपचार के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं, जिससे आपातकालीन स्थिति का पता चलता है। डॉ. पॉल ने कहा कि भले ही उपचार मुश्किल नहीं है, लेकिन यह समय से किया जाना है।