केंद्र सरकार ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे सीरो-प्रिवलेंसके बारे में जिलास्तर परडेटा इकट्ठा करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ विचार-विमर्श कर सीरो-प्रिवलेंस सर्वेक्षण करें, जो स्थानीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिहाज से जरूरी है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव द्वारा सभी राज्यों के अपर मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव (स्वास्थ्य) को लिखे गए पत्र में यह बात कही गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आईसीएमआर द्वारा किए गए राष्ट्रीय सीरो-प्रिवलेंस सर्वेक्षण के चौथे दौर के निष्कर्षों का उल्लेख किया है और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे आईसीएमआर के परामर्श से अपने स्वयं के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सीरो-प्रिवलेंस का अध्ययन करें। स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसा इसलिए कहा कि ताकि इस तरह के अध्ययनों में एक मानकीकृत प्रोटोकॉल का पालन किया जाए, और संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इस तरह के अध्ययनों के निष्कर्षों का उपयोग कोविड-19 को लेकर एक सही, पारदर्शी और साक्ष्य-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में किया जा सके।
यह बताया गया है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने हाल ही में भारत के 70 जिलों में राष्ट्रीय सीरो-सर्वेक्षण किया है। इस सर्वेक्षण के निष्कर्ष, राज्य-वार सीरो-प्रिवलेंस को इस तरह दर्शाते हैं:
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने राष्ट्रीय सीरो-सर्वेक्षण, राष्ट्रीय स्तर पर कोविड संक्रमण के प्रसार का पता लगाने के लिए किया था। इसलिए, राष्ट्रीय सीरो-सर्वेक्षण के परिणाम जिलों और यहां तक कि राज्यों के बीच सीरो-प्रिवलेंस की विविधता को नहीं दर्शाते हैं।