पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने आज आभासी माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में दस राज्यों-असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नगालैंड और त्रिपुरा- में वन क्षेत्रों के लीडार आधारित सर्वेक्षण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जारी की।
श्री जावडेकर ने बताया कि यह परियोजना, जिसेभारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के तहत वापकोस नाम के एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को सौंपी गई है, अपनी तरह का पहला और अनूठा प्रयोग है।इसमें लीडार तकनीक का उपयोग किया गया है, जो वन क्षेत्रों में पानी और चारे की उपलब्धता बढ़ाने में मदद करेगा और इस क्रम में मानव एवं पशुओं के बीच के संघर्ष को कम करेगा, भूजल को फिर से भरने में मदद करेगा और स्थानीय समुदायों की मदद करेगा।उन्होंनेविभिन्न राज्यों के वन विभागों को इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए कैम्पा फंड का उपयोग सही तरीके से और वाटरशेड प्रबंधन के ‘रिज टू वैली’ दृष्टिकोण के अनुसार करने को कहा।
वापकोस ने लीडार तकनीक का उपयोग करके इन विस्तृत परियोजना रिपोर्टों (डीपीआर) को तैयार किया है, जिसमें 3-डी (त्रि-आयामी) डीईएम (डिजिटल एलिवेशन मॉडल), इमेजरी और परियोजना क्षेत्रों की परतों का उपयोग एनीकट, गेबियन, गली प्लग, लघु अंतःस्त्रवण टंकी, अंतःस्त्रवण टंकी, खेतों की मेंड़, धंसे हुए तालाब, खेती वाले तालाब आदि जैसी विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जल संरक्षण संरचनाओं की सिफारिश करने के लिए किया जाता है। ये संरचनाएं बारिश के पानी को संरक्षित करने और उसकी धारा को बहने से रोकने में मदद करेंगी, जिससे भूजल को फिर से भरने में मदद मिलेगी।
वापकोस ने राज्य वन विभागों की भागीदारी के साथ इन राज्यों में वन ब्लॉक के भीतर एक बड़े टीले की पहचान करने के साथ विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने और स्थान विशेष के भूगोल, उसकी स्थलाकृति और वहां की मिट्टी की विशेषताओं के अनुरूप मृदा और जल संरक्षण की उपयुक्त एवं व्यावहारिक सूक्ष्म संरचनाओं के निर्माण के लिए स्थानों और संरचनाओं की पहचान करने के उद्देश्य से प्रत्येक राज्य में 10,000 हेक्टेयर के औसत क्षेत्रफल की भूमि का चयन किया है।
राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों ने वन ब्लॉक के अंदर एक बड़े टीले पहचान इस मानदंड के साथ की कि चयनित क्षेत्र में राज्य की औसत वर्षा होनी चाहिएऔर उस क्षेत्र को सहायता प्राप्त प्राकृतिक जनन की जरूरत हो जिसका अर्थ यह है कि वहां वनों का घनत्व 0.4 या उससे कम होना चाहिए, लेकिन उनमें उपयुक्तएएनआर उपायों के जरिएपुनर्जनन करने की क्षमता होनी चाहिए।
इस परियोजना को 26 राज्यों में कुल 261897 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में कार्यान्वित करने के लिए जुलाई 2020 में कुल 18.38 करोड़ रुपये की लागत से वापकोस को सौंपी गई थी। शेष 16 राज्यों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी शीघ्र ही जारी की जाएगी।