नैनीताल: रामनगर में रहने वाली ज्योति कश्यप का परिवार साँपों को बचाने की मुहिम में बरसों से लगा हुआ है। अपने पिता और भाई की तरह ज्योति को भी साँपों से डर नहीं लगता है।
ज्योति के पिता चंद्रसेन कश्यप अपनी बेटी को विषकन्या कहे जाने के बारे में बताते हैं, कुछ बरस पहले जब हमारे पास साँप पकडने के बाद उन्हें रखने के लिए कोई जगह नहीं थी तो साँप घर में डिब्बों में रखे रहते थे। ऐसे में एक दिन एक लंबा अजगर (पायथन) घर में रखा हुआ था और मेरी बिटिया उसे गले में लेकर घूमने लगी।
जब लोगों ने देखा तो वे हैरान रह गए और देखा-देखी किसी ने तस्वीर ले ली। फिर अखबार में छप गया कि मेरी बेटी विषकन्या है। इसके बाद मनोहर कहानियाँ नाम की पत्रिका में भी मेरी बेटी की कहानी छपी।
इस घटना के बाद ज्योति के घर पर लगे लैंडलाइन फोन पर कई लोगों के फोन आना शुरू हो गए। ये लोग विषकन्या से बात करना चाहते थे और उसके बारे में जानना चाहते थे।
चंद्रसेन कश्यप कहते हैं, ये सब इतना परेशान करने वाला था कि पूछिए मत। मैंने लोगों के हाथ जोडे और मिन्नतें की। मैंने लोगों को समझाने की कोशिश की कि मेरी बेटी कोई विषकन्या या नागकन्या नहीं है। Source UPUK live