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यह महानाट्य राष्ट्रवाद की असीम प्रेरणा प्रदान करने वाला : मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने दुश्मन के प्रति वही व्यवहार किया, जो भगवान श्रीकृष्ण ने ‘परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्’ के माध्यम से उपदेश दिया था। जब एक आततायी समझौते के बहाने छत्रपति शिवाजी महाराज को दबोच कर उन्हें मारना चाहता था, इससे पहले ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने दुश्मन का काम तमाम कर दिया। जब भी यह युक्ति भारतीय समाज अपनाएगा, वह कभी भी अपमानित और परेशान नहीं होगा और अपनी सुरक्षा, सम्मान और स्वाभिमान को बचाने में सफल होगा। ‘जाणता राजा’ इसी की एक झलक हम सबके सामने प्रस्तुत करेगा।
मुख्यमंत्री जी आज यहां दिव्य प्रेम सेवा मिशन, हरिद्वार तथा उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा हिन्दवी स्वराज के 350वें वर्ष पर छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित ऐतिहासिक महानाट्य ‘जाणता राजा’ के शुभारम्भ के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने महानाट्य ‘जाणता राजा’ का मंचन देखा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप तथा गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज के नाम से सभी भारतीय राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो जाते हैं। यह असाधारण महापुरुष थे। छत्रपति शिवाजी महाराज ने आज से 350 वर्ष पूर्व औरंगजेब जैसे बर्बर आततायी शासक के समय भारत में हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना की थी। उस समय एक ओर औरंगजेब भारत की सांस्कृतिक व आध्यात्मिक पहचान को नष्ट करने के लिए उतावला था, दूसरी ओर छत्रपति शिवाजी महाराज हिन्दवी साम्राज्य का उद्घोष कर रहे थे। यह एक अभूतपूर्व घटना थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब दण्डकारण्य राक्षसी कार्य से आतंकित था, तब प्रभु श्रीराम ने कहा ‘निसिचर हीन करहुं महि, भुज उठाई पन कीन्ह’। इसी संकल्प के प्रतीक के रूप में दो दिन पूर्व विजयादशमी महापर्व मनाया गया है। हर भारतवासी तथा सनातन धर्मावलम्बी इन आयोजनों से जुड़ा है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने ‘परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्’ के माध्यम से यही कार्य किया। तिथियां और काल अलग-अलग थे, उद्घोष की शब्दावली में भी अन्तर था, लेकिन भाव और भावना एक जैसी थी कि हम सज्जनों का संरक्षण करेंगे, लेकिन दुर्जन शक्तियों का विनाश करने में कोई संकोच भी नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मध्य काल में जब देश और सनातन धर्म के बारे में यह कहा जाता था कि अब इनका नाम भी शेष नहीं रहेगा, तब कभी महाराणा प्रताप, कभी छत्रपति शिवाजी महाराज और कभी गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज ने ज्योतिपुंज बनकर समाज का मार्गदर्शन किया और हमारे लिए प्रेरणा बने। भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में जो कार्य किया था, वही कार्य इन महापुरुषों ने आगे बढ़ाए थे। सनातन धर्मावलम्बी इनसे प्रेरणा व प्रकाश प्राप्त कर चुनौतियों से जूझने का सामर्थ्य व शक्ति प्राप्त करता है। हर काल में दिव्य विभूतियों ने हमारा मार्गदर्शन किया। देश की आजादी की लड़ाई में 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर के दौरान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने उद्घोष किया कि मैं अपनी झांसी हरगिज़ नहीं दूंगी। वे विदेशी आततायियों से जूझ पड़ीं। अंग्रेज झांसी पर कब्जा नहीं कर पाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया। यह भारत की आजादी का उद्घोष बन गया था। लखनऊ की धरती से तिलक जी ने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ का उद्घोष किया। इसके कुछ ही वर्षों बाद भारत को स्वतंत्रता मिली। इन महापुरुषों का उद्घोष हमारे लिए सदैव एक मंत्र रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने राष्ट्रवाद की असीम प्रेरणा प्रदान करने वाले महानाट्य के आयोजन के लिए दिव्य प्रेम सेवा मिशन ट्रस्ट और महानाट्य के निर्माताओं का अभिवादन करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश वासी इस कार्यक्रम से जुड़कर आयोजन को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाने का कार्य करेंगे। राष्ट्रवाद की धरोहर को अपने, अपने परिवार, समाज, गांव तथा क्षेत्र तक ले जाने का काम करेंगे।
इस अवसर पर विधायक श्री योगेश शुक्ल, श्री पवन सिंह चौहान, श्री रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया), लखनऊ की महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल, अध्यक्ष दिव्य प्रेम सेवा मिशन न्यास श्री आशीष गौतम, संत श्री विजय कौशल जी महाराज, श्री संतोष दास जी महाराज (सतुआ बाबा) सहित दिव्य प्रेम सेवा मिशन न्यास के सदस्य तथा विद्यार्थी उपस्थित थे।

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