ड्रेजिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने आज पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल, राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक और पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग सचिव डॉ. संजीव रंजन की उपस्थिति में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में 12000 क्यूबिक मीटर क्षमता के फर्स्ट बीगल सीरीज 12 ट्रेलिंग सक्शन हॉपर ड्रेजर के निर्माण के लिए पहली मेक इन इंडिया परियोजना के तहत एक ऐतिहासिक जहाज निर्माण समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि मंत्रालय ने बंदरगाहों के संचालन के लिए ड्रेजिंग के महत्व को देखते हुए बड़े बंदरगाहों के लिए ड्रेजिंग के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि ड्रेजिंग को समय से पूरा करने के लिए पर्याप्त ड्रेजर्स की आवश्यकता अहम है और नए ड्रेजर्स जरूरी दक्षता लाने तथा ड्रेजिंग को समय से पूरा करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि इससे जहाजों का सुगम संचालन संभव हो जाएगा। श्री सोनोवाल ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत बने ड्रेजर आत्मनिर्भर भारत के तहत हुई सबसे बड़ी पहलों में से एक है और इसमें मेक इन इंडिय के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सच्ची झलक मिलती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में मंत्रालय कार्गो की ढुलाई लागत नीचे लागकर बंदरगाहों के संचालन के लिए अच्छे ड्रेजर्स के साथ मैरीटाइम इंडिया विजन, 2030 के उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम होगा।
श्री सोनोवाल ने कहा कि जहाज निर्माण समझौते से भारतीय शिपयार्डों के लिए पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय की जहाज निर्माण वित्तीय समर्थन नीति (एसएफएपी) (2016) से 01.04.2016 और 31.03.2026 के बीच जहाज निर्माण अनुबंध हासिल करने का भी लाभ मिलेगा। इस नीति के तहत भारतीय शिपयार्डों को वित्तीय सहायता “अनुबंध मूल्य” या “उचित मूल्य” या “प्राप्त वास्तविक भुगतान”, जो भी कम हो, उसके 17 प्रतिशत के समान है। उन्होंने कहा, ’10 साल की अवधि यानी 2016-26 के लिए 4,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।’
श्री सोनोवाल ने यह भी कहा कि पीएसडब्ल्यू मंत्रालय प्रधानमंत्री द्वारा “वेस्ट टू वैल्थ” पहल के तहत तय लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में कड़ी मेहनत कर रहा है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने बड़े बंदरगाहों के लिए ड्रेजिंग गाइडलाइन जारी की हैं, जिससे सुनिश्चित हो सके कि ड्रेज सामग्री की रिसाइक्लिंग हो और वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर पुनः उपयोग हो सके। इससे टिकाऊ ड्रेजिंग निस्तारण तंत्र लागू होगा और कचरे से संपदा के निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कोचीन पोर्ट ट्रस्ट की उस पहल की सराहना की, जिससे ड्रेज्ड मैटेरियल को निकालना संभव हुआ है और ड्रेज्ड मैटेरियल की नीलामी के द्वारा अच्छा राजस्व हासिल हुआ है। उन्होंने कहा कि पारादीप पोर्ट नुमालीगढ़ रिफाइनरी लि. के लिए भूमि सुधार के उद्देश्य से 1 मिलियन क्यूबिक मीटर ड्रेज्ड मैटेरियल का उपयोग कर रहा है। इसके अलावा, विशाखापटनम पोर्ट और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ड्रेज्ड मैटेरियल के एक हिस्से को समुद्र तट के सुधार में उपयोग करते रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने डीसीआईएल और सीएसएल की टीमों तथा पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों को बधाई दी और इस पहले मेक इन इंडिया ड्रेजर बिल्डिंग प्रोजेक्ट के लिए उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इस परियोजना के प्रौद्योगिकी साझेदार आईएचसी हॉलैंड का भी आभार जताया और कहा कि यह जहाज निर्माण समझौता मेक इन इंडिया पहल में इंडो-डच सहयोग का एक बहुत अच्छा उदाहरण है और इससे दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक सामुद्रिक संबंध को मजबूती मिल रही है।
तकनीक रूप से उत्कृष्ट जहाजों के निर्माण के क्षेत्र में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड की पहल की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह नई ड्रेजर निर्माण परियोजना इस दिशा में सीएसएल की एक अन्य अहम पहल है, जो कंपनी को अपनी तकनीक क्षमता के दोहन और “दुनिया के लिए मेक इन इंडिया” के लिए आधार तैयार करती है।
इस अवसर पर पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक, नीदरलैंड के राजदूत श्री मार्टिन वान-डेंग बर्ग, पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग सचिव डॉ. संजीव रंजन, नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत, इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन श्री संजय बंदोपाध्याय और डीसीआई के प्रबंधन निदेशक एवं सीईओ डॉ. जीवाईवी विक्टर ने भी संबोधन दिया।
ड्रेजिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीसीआईएल), विशाखापटनम भारत में एक सूचीबद्ध ड्रेजिंग कंपनी है, जिसके बहुलांश शेयर चार बड़े बंदरगाह प्राधिकरणों विशाखापटनम पोर्ट, पारादीप पोर्ट, जवाहर लाल नेहरु पोर्ट और दीनदयाल पोर्ट के पास हैं। डीसीआई बड़े बंदरगाहों, छोटे बंदरगाहों, भारतीय नौसेना, फिशिंग हार्बर्स और अन्य सामुद्रिक संगठनों में ड्रेजिंग तथा सहायक सेवाएं देने वाला भारत का एक प्रतिष्ठित ड्रेजिंग संगठन है।
ड्रेजिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के एमडी और सीईओ प्रो. डॉ. जी. वाई. वी. विक्टर कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक श्री मधु एस. नायर ने इस ऐतिहासिक जहाज निर्माण समझौते पर हस्ताक्षर समारोह को कार्यान्वित किया।