लखनऊ: प्रमुख सचिव, खादी एवं ग्रामोद्योग डा0 नवनीत सहगल ने कहा कि कुम्हारी कला को बढ़ावा देने के लिए मिट्टी के दीए और मूर्तियां बनाने वाले कारीगरों को प्रशिक्षण के साथ-साथ आवश्यक उपकरण दिये जायेंगे। इससे विदेशों से आयात होने वाली मूर्तियों पर निर्भरता कम होगी और दीपावली के अवसर पर स्थानीय मिट्टी कारीगरांे का व्यवसाय बढ़ेगा और उनको आर्थिक लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए कारीगरों को मूर्ति बनाने की डाई, फर्नीर्शिग मशीन और आवश्यक मटेरियल उपलब्ध कराया जायेगा। पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर गोरखपुर, वाराणसी एवं लखनऊ में यह कार्यक्रम शुरू किया जायेगा।
डा0 सहगल ने आज खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड कार्यालय में गोरखपुर तथा लखनऊ के मिट्टी कारीगरों के साथ बैठक की और कारीगरों से दीए और मूर्तियांे के अधिक उत्पादन हेतु सुझाव लिये। उन्होंने कहा कि इस बार दीवाली में कारीगर पहले से बेहतर मूर्तिंयां तैयार करें, इसके लिए उन्हें एक्सपर्ट की सलाह भी दी जायेगी। कुम्हारोें को उनकों कार्यस्थल पर प्रशिक्षण देने की व्यवस्था होगी, ताकि अधिक से अधिक लोग इससे लाभांवित हो सकें। उन्होंने कहा कि जरूरत के हिसाब से कुम्हारों को पगमिल, चाक और दीपक बनाने वाली मशीन भी उपलब्ध कराई जायेगी। इसके माध्यम से डिजाइनर दीए बनेंगे और इनके दाम भी बाजार में कम होंगे।
प्रमुख सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश में जहां-जहां मूर्ति एवं दीये बनाये जाते है, वहां के कारीगरों को मार्डन किस्म की डाई उपलब्ध कराई जाय। प्रदेश में इस कला को बढ़ावा देने के लिए जिन जनपदों में सामान्य सुविधा केन्द्र की आवश्कयता है, उसका प्रस्ताव तत्काल उपलब्ध कराया जाय। उन्होंने कहा कि कुम्हारी कला से जुड़े लोगों को तालाब से मिट्टी लेने तथा इसके परिवहन में आ रही कठिनाई को दूर करने के लिए शीघ्र ही राजस्व विभाग से आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कराया जायेगा।