प्रधानमंत्री ने पावागढ़ पहाड़ी पर श्री कालिका माता के पुनर्विकसित मंदिर का उद्घाटन किया। यह इस क्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। मंदिर का पुनर्विकास 2 चरणों में किया गया है। पुनर्विकास के पहले चरण का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने इस साल की शुरुआत में अप्रैल में किया था। दूसरे चरण के पुनर्विकास की आधारशिला, जिसका उद्घाटन आज के कार्यक्रम में किया गया था, 2017 में प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई थी। इसमें मंदिर के आधार का विस्तार और तीन स्तरों पर ‘परिसर’, स्ट्रीट लाइट, सीसीटीवी प्रणाली जैसी सुविधाओं की स्थापना शामिल है।
प्रधानमंत्री ने मंदिर में आने पर अपने सौभाग्य के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने आज के इस क्षण के महत्व को रेखांकित किया जब 5 शताब्दियों के बाद और आजादी के 75 साल बाद ही, मंदिर पर ‘ध्वज’ पवित्र ध्वज फहराया जा सका है। उन्होंने कहा, “आज सदियों के बाद पावागढ़ मंदिर के शीर्ष पर एक बार फिर झंडा फहराया जाता है। यह ‘शिखरध्वज’ ध्वज न केवल हमारी आस्था और आध्यात्मिकता का प्रतीक है बल्कि यह ध्वज इस बात का भी प्रतीक है कि सदियां बदलती हैं, युग बदलते हैं, लेकिन आस्था शाश्वत रहती है। उन्होंने कहा कि आगामी ‘गुप्त नवरात्रि’ से ठीक पहले यह पुनर्विकास इस बात का संकेत है कि ‘शक्ति’ कभी कम या विलुप्त नहीं होती है।
अयोध्या में राम मंदिर, काशी विश्वनाथ धाम और केदार धाम का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “आज भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव को बहाल किया जा रहा है। आज न्यू इंडिया अपनी आधुनिक आकांक्षाओं के साथ अपनी प्राचीन पहचान को गर्व के साथ जी रहा है।” उन्होंने कहा कि आस्था के केंद्रों के साथ-साथ हमारी प्रगति की नई संभावनाएं उभर रही हैं और पावागढ़ का यह भव्य मंदिर उसी यात्रा का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि यह मंदिर सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का भी प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने याद किया कि किस तरह स्वामी विवेकानंद ने मां काली से आशीर्वाद (ब्रीफिंग) पाकर खुद को जन सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने कहा कि आज उन्होंने देवी से लोगों की सेवा करने की शक्ति देने को कहा। श्री मोदी ने प्रार्थना की “माँ, मुझे आशीर्वाद दें कि मैं और अधिक ऊर्जा, त्याग और समर्पण के साथ लोगों के सेवक के रूप में देश के लोगों की सेवा करता रहूँ। मेरे पास जो भी शक्ति है, मेरे जीवन में जो भी गुण हैं, उन्हें देश की माताओं और बहनों के कल्याण के लिए समर्पित करते रहना चाहिए।
आजादी का अमृत महोत्सव के संदर्भ में, प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ राष्ट्र की विकास यात्रा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गरवी गुजरात भारत के गौरव और गौरव का पर्याय है। उन्होंने कहा कि सोमनाथ मंदिर की गौरवशाली परंपरा में; पंचमहल और पावागढ़ हमारी विरासत के गौरव के लिए काम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज मां काली ने पुनर्विकास और ध्वजारोहण का कार्य पूरा करवा कर अपने भक्तों को सबसे बड़ा वरदान दिया हैI उन्होंने कहा कि जीर्णोद्धार में मंदिर की प्राचीनता के तत्व को छुआ नहीं गया है। प्रधानमंत्री ने मंदिर तक पहुंच में आसानी का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि “पहले पावागढ़ की यात्रा इतनी कठिन थी कि लोग कहते थे कि जीवन में कम से कम एक बार माँ के दर्शन अवश्य करें। आज यहां बढ़ती सुविधाओं ने मुश्किल दर्शन को सुलभ बना दिया है।” उन्होंने भक्तों से अनुशासन बनाए रखने को कहा। प्रधानमंत्री ने कहा की पावागढ़ में अध्यात्म है, इतिहास, प्रकृति, कला और संस्कृति भी है। यहां एक तरफ मां महाकाली का शक्तिपीठ है तो दूसरी तरफ एक विरासत जैन मंदिर भी है। यानी पावागढ़ एक तरह से भारत की ऐतिहासिक विविधता के साथ सार्वभौमिक सद्भाव का केंद्र रहा है।” माता के विभिन्न मंदिरों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात में माता के आशीर्वाद का सुरक्षा घेरा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि धार्मिक स्थलों के विकास के साथ इस क्षेत्र में पर्यटन, रोजगार और क्षेत्र की कला और शिल्प के बारे में जागरूकता बढ़ने के साथ नए अवसर सामने आते हैं। पंचमहल को महान संगीतकार बैजू बावरा की भूमि होने का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां-जहां विरासत और संस्कृति को बल मिलता है वहां कला और प्रतिभा भी पनपती है। प्रधानमंत्री ने याद किया कि चंपानेर से ही वर्ष 2006 में ‘ज्योतिग्राम’ योजना शुरू की गई थी।