रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने स्वदेश में ही डिजाइन की हुई और निर्मित फुल-स्पैन लॉन्चिंग इक्विपमेंट-स्ट्रेडल कैरियर तथा गर्डर ट्रांसपोर्टर को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इन मशीनों से मुम्बई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल गलियारे में मेहराबदार ढांचे के निर्माण में तेजी आयेगी। मंत्री महोदय ने आज श्री मियां मोतो शिंगो, मंत्री, जापान दूतावास, श्री सुनीत शर्मा, अध्यक्ष, रेलवे बोर्ड, श्री सतीश अग्निहोत्री, प्रबंध निदेशक, एनएचआरसीएल एवं श्री एस एन सुब्रह्मण्यम, कार्यकारी निदेशक, लार्सन एवं टूब्रो की उपस्थिति में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इसका शुभारंभ किया।
उपस्थित लोगों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुये रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के विजन के तहत सरकार भारतीय रेलवे को देश के समावेशी विकास का इंजन बनाने के लिये संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि आज भारतीय रेलवे एक नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है जिसमें आम जन की भावना समाहित हैं। आज इक्कीसवीं सदी में भविष्य को दृष्टि में रखकर योजनाएं बनाने और उन्हें धरातल पर कार्यान्वित करने की जरूरत है। आज का समारोह उसी नए भारत की तरफ कदम बढ़ाने का एक उदाहरण है।
उल्लेखनीय है कि मुम्बई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल परियोजना (एमएएचएसआर) के 508 किलोमीटर लंबे मेहराबदार निर्माण के लिये उत्कृष्ट प्रणाली इस्तेमाल की जा रही है। इस निर्माण में फुल-स्पैन लॉन्चिंग प्रणाली (एफएसएलएम) का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रौद्योगिकी के जरिये पहले से तैयार पूरी लंबाई वाले गर्डरों को खड़ा किया जाता है, जो बिना जोड़ के पूरे आकार में बने होते हैं। इन्हें दोहरे मेहराबदार ट्रैक के लिये इस्तेमाल किया जाता है। इसकी मदद से निर्माण कार्य में तेजी आती है। एफएसएलएम को दुनिया भर में इस्तेमाल करते हैं, जहां मेट्रो प्रणाली के लिये मेहराबदार निर्माण में इससे मदद मिलती है। ऐसी मशीनों के डिजाइन बनाने और उनका निर्माण करने में अब भारत भी इटली, नार्वे, कोरिया और चीन जैसे देशों के समूह में शामिल हो गया है।
कंक्रीट के उपयोग से पहले से तैयार चौकोर गर्डर (प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट-पीएससी) को भी लॉन्च किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि इन गर्डरों का भार 700 से 975 मीट्रिक टन है और इनकी चौड़ाई 30, 35 तथा 45 मीटर की है। इन्हें भी एफएसएलएम प्रणाली के जरिये हाई-स्पीड गलियारे के लिये लॉन्च किया जायेगा। सबसे भारी-भरकम पीएससी चौकोर गर्डर का भार 975 मीट्रिक टन है और उसकी लंबाई 40 मीटर है। भारत में एमएएचएसआर परियोजना के लिये पहली बार इसका उपयोग किया जा रहा है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिये 1100 मीट्रिक टन क्षमता वाले एफएसएलएम उपकरण को स्वदेशी स्तर पर बनाया गया है। इसका डिजाइन भी यहीं तैयार किया गया है। मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो की चेन्नई स्थित कांचीपुरम की निर्माण इकाई में इसे बनाया गया है। इसके लिये मेसर्स एल-एंड-टी ने 55 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के साथ साझेदारी की थी।
उल्लेखनीय है कि इस तरह के 20 लॉन्चिंग उपकरणों की जरूरत गुजरात के वापी और अहमदाबाद के बीच 325 किलोमीटर के मेहराबदार निर्माण के लिये होगी।
एमएएचएसआर परियोजना का अतिरिक्त विवरणः
- गुजरातमें मुम्बई और अहमदाबाद के 508 किमी लंबे गलियारे में से 325 किमी पर काम चालू हो चुका है।
- परियोजनाके लिये गुजरात और दादरा एवं नगर हवेली में 97 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 30 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण हो चुका है।
- इसपरियोजना से रेल निर्माण की विभिन्न प्रौद्योगिकियों में कुशलता मिलेगी। नेशनल हाईस्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड के कर्मचारियों और ठेकेदारों को जापानी सहयोगी प्रशिक्षण देंगे।
- परियोजनाके विभिन्न निर्माण स्थलों पर 6000 से अधिक कामगार काम कर रहे हैं। इस तरह स्थानीय युवाओं के लिये रोजगार के अवसर भी बन रहे हैं।
- एकअनुमान है कि मुम्बई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल परियोजना से इस इलाके में 90 हजार से अधिक रोजगार पैदा होंगे, जिनमें तकनीशियनों, कुशल और अकुशल मजदूरों के 51 हजार रोजगार शामिल हैं।
- परियोजनासे इलाके की अर्थव्यवस्था में तेजी आयेगी, क्योंकि तब हजारों ट्रकों, डंपरों, खुदाई करने वाली मशीनों, बैचिंग संयंत्रो, सुरंग बनाने के उपकरणों, इत्यादि की जरूरत होगी। अनुमान है कि निर्माण में 7.5 मिलियन टन सीमेंट, 2.1 मिलियन टन इस्पात और 70 हजार टन इमारती इस्पात लगेगा।
- नेशनलहाईस्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड सात हाईस्पीड रेल गलियारों की परियोजनाओं का खाका तैयार कर रहा है। मुम्बई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल परियोजना से होने वाले अनुभव से अन्य गलियारों का काम ज्यादा तेजी से होगा।
- संलग्नक:
- स्ट्रैडल कैरियर और गर्डर ट्रांसपोर्टर की इंजीनियरिंग विशेषताएं
- कार्यक्रम की फोटो।
इंजीनियरिंग विशेषताएं:
स्ट्रैडल कैरियर
इस उपकरण का डिजाइन इस तरह तैयार किया गया है कि यह पहले से तैयार पूरे आकार की गर्डरों को ढालने से लेकर भंडार तक और वहां से उसे ऊपरी ढांचे को आधार देने के लिये लगाने तक का काम करता है। यह पहियों पर चलने वाली क्रेन है, जो 1100 मीट्रिक टन वजन उठा सकती है।
तकनीकी मापदण्डः
अपना स्वयं का भार | 845 टन |
आयाम | 52.5 x 37.0 x 21.9 मीटर (लंबाई x चौड़ाई x ऊंचाई) |
चलने की गति | 1 किमी प्रति घंटा – भार सहित
2 किमी प्रति घंटा – भार रहित |
हुक के ऊपर उठाने और नीचे आने की गति | 0.5 मीटर/मिनट – भार सहित
1.5 मीटर/मिनट – भार रहित |
पहियों की कुल संख्या | 80 (20 x 4) |
पहियों का आयाम | व्यास – 1.82 m |
पुर्जों का स्रोत | भारत (85%), जर्मनी, स्पेन और ऑस्ट्रिया (15%) |
गर्डर ट्रांसपोर्टर
इस उपकरण को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह पूरे आकार की पहले से तैयार गर्डरों को उठाकर लगाये जाने वाले स्थान तक ला सकता है। यह 27 एक्सेल टायर से चलने वाली ट्रॉली है और इसकी क्षमता 1100 मीट्रिक टन है।
तकनीकी मापदण्डः
अपना स्वयं का भार | 387 टन |
आयाम | 58.5 x 8.5 x 3.5 मीटर (लंबाईxचौड़ाईxऊंचाई) |
चलने की गति | 5 किमी प्रति घंटा – भार सहित
10 किमी प्रति घंटा – भार रहित |
पहियों की संख्या | 216 (27 x 2 x 4) |
एक्सेल की संख्या और वजन | 27 संख्या और 55 टन/एक्सेल |
पुर्जों का स्रोत | भारत (85%)
जर्मनी, स्पेन और ऑस्ट्रिया (15%) |
गर्डर ट्रांसपोर्टर की प्रतीकात्मक तस्वीर