पटना: कहा जाता है कि अगर आपका हौसला बुलंद हो और कुछ कर गुजरने का संकल्प हो तो हर बाधा आपको आपकी मंजिल की ओर ले जाने में सहयोगी सिद्ध होती है. मुश्किलों से आपकी दोस्ती हो जाती है और जीवन-राह आसान. ऐसा ही कुछ करने को ठानी है कि बिहार के सीवान के आशुतोष कुमार सिंह और उनकी पत्नी प्रियंका सिंह ने.
सेहत के क्षेत्र में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ पिछले सात वर्षो से लगातार आवाज उठा रहे इस सिंह दंपति ने 21,000 किलोमीटर की ‘स्वस्थ भारत यात्रा-2’ का संकल्प लिया है. इस संकल्प के साथ वे 30 जनवरी को साबरमती आश्रम से अपने साथियों के साथ 90 दिनों की मैराथन और अनोखी यात्रा पर निकल रहे हैं. इस यात्रा का खर्च भी एक-एक रुपये जोड़कर जुटाया जा रहा है.
नौकरी छोड़कर समाजसेवा से जुड़े आशुतोष इस यात्रा के संदर्भ में आईएएनएस को बताते हैं, “आज अमीर से लेकर गरीबों तक को दवा की आवश्यकता है, ऐसे में अगर इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार हो या गड़बड़ी हो तो किसी का मन व्यथित होगा.”
वे कहते हैं, “वर्ष 2012 में एक मित्र की बीमार पत्नी की दवा खरीदने के दौरान ली गई अत्यधिक कीमत ने मुझे इस क्षेत्र में कुछ करने के लिए प्रेरित किया और मैंने यह अभियान शुरू किया. अब इस अभियान में सैकड़ों लोग जुट गए हैं.”
वे आगे कहते हैं कि इसके बाद ‘स्वस्थ भारत’ के बैनर तले इस मुहिम को लेकर दर्जनों अभियान चलाए गए हैं. उन्होंने बताया कि ‘कंट्रोल मेडिसिन मैक्सिमम रिटेल प्राइस’, ‘जेनरिक मेडिसिन लाइए पैसा बचाइए’, ‘नो योर मेडिसिन (अपनी दवा को जानें)’, ‘नो योर फार्मासिस्ट’, ‘नो योर डॉक्टर’, ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’, मानसिक स्वास्थ्य जानें, समझे, बताएं एवं अब ‘स्वस्थ भारत के तीन आयाम : जनऔषधि, पोषण और आयुष्मान’ जैसे जनसरोकारी कैम्पेन्स के माध्यम से देश के लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं.
स्वस्थ भारत यात्रा के बारे में आशुतोष कहते हैं, “इस यात्रा से पहले हमने ‘स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज’ विषय को लेकर वर्ष 2017 में देशव्यापी स्वस्थ भारत यात्रा की थी. इस दौरान लाखों बालिकाओं से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष संवाद स्थापित कर बालिका स्वास्थ्य के मसले को एक दिशा एवं गति देने का हमने सार्थक प्रयास किया है. इसी कड़ी में एक बार फिर से हम स्वस्थ भारत यात्रा-2 लेकर लोगों को जागरूक करने निकलने वाले हैं.”
उन्होंने कहा कि इस बार का ध्येय वाक्य ‘स्वस्थ भारत के तीन आयाम जनऔषधि, पोषण और आयुष्मान’ रखा गया है.
देश के करीब 150 से ज्यादा शैक्षणिक संस्थनों में स्वास्थ्य के संबंध में व्याख्यान देने वाले आशुतोष कहते हैं, “भारत जैसे देश में जहां पर महंगी दवाइयों के कारण करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जा रहे हैं, वहां पर सस्ती दवाइयों की उपलब्धता बहुत जरूरी है. इसी जरूरत को ध्यान में रखकर हमने इस यात्रा के ध्येय वाक्य में जनऔषधि शब्द को जोड़ा है.”
उन्होंने कहा कि सबको समुचित पोषण मिले, यह भी बहुत जरूरी है. ‘पोषण’ को लेकर भी लोगों के मन में तमाम तरह की भ्रांतियां हैं. इन भ्रांतियों को दूर करना एवं स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ भोजन के तौर-तरीकों के बारे में लोगों को बताना जरूरी है. भारत आयुष्मान कैसे बने इस पर भी चर्चा होनी जरूरी है.
आशुतोष की इस यात्रा में साथ निभाने के लिए दृढसंकल्पित उनकी पत्नी प्रियंका आईएएनएस से यात्रा बजट के बारे में कहती हैं कि इस यात्रा में आंशिक रूप से सरकार से एवं ज्यादा सहयोग एवं समर्थन जनता से मिल रहा है.
उन्होंने कहा, “इस यात्रा में लोगों से सहयोग के लिए ‘1 रुपया, 1 कदम’ के नाम से सोशल मीडिया पर हमने कैम्पेन शुरू किया है. हमें उम्मीद है कि लोगों के दिए 1-1 रुपये के सहयोग से हम यह यात्रा सार्थक तरीके से पूरी करेंगे.” Zee