काशीपुर: रात के करीब साढ़े दस बज रहे थे। काशीपुर में करीब-करीब सन्नाटा पसर चुका था। कामकाज निपटा कर लोग घर पहुंच चुके थे। जो रास्ते में थे उन्हें घर पहुंचने की जल्दी थी। जसपुर बस अड्डे के पास भी सुनसानी थी लोग तेज कदमों से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे तभी किसी अंधेरे कोने से एक बच्चे के रोने की आवाज आई और सभी के कदम ठहर गए।
रास्ते में खड़े सभी लोग एक-दूसरे को देखने लगे और इसके बाद कुछ लोग उस तरफ बढ़े जहां से बच्चे के रोने की आवाज आ रही थी। बहुत देर नहीं लगी नाले के पास एक मासूम बच्ची पड़ी लोगों को दिख गई। जसपुर बस अड्डे के पास के लोगों ने मानवता का परिचय दिया। तुरंत बच्ची को गोद में उठाया और लेकर अस्पताल पहुंचे। अस्पताल में मौजूद मेडिकल स्टाफ ने भी बगैर देर लगाए बच्ची की जांच शुरू की। बच्ची पूरी तरह स्वस्थ थी। अभी बच्ची काशीपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती है।
गुरुवार रात सरकारी अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने बताया कि बच्ची का जन्म करीब दो घंटे पहले हुआ है। उसकी नाल भी सही से नहीं काटी गई थी। लोगों ने डॉक्टर की मदद से उसकी नाल कटवाई। बच्ची को देख अस्पताल में मौजूद महिलाओं की आंखें भी नम हो गई। बच्ची को लेकर अस्पताल में अलग-अलग बातें हो रही थी। कोई कह रहा था कि लोकलाज के डर से बच्ची को फेंका होगा कोई कह रहा था की लड़की होने के कारण बच्ची को फेंका होगा। जबकि अस्पताल के बेड पर पड़ी दो घंटे मासूम को अच्छी नींद आ चुकी थी। लेकिन उसके चेहरे पर एक सवाल था अपनी मां के लिए जिसने उसे पैदा होते ही पत्थरों की बीच मरने के लिए छोड़ दिया था। लेकिन ये काशीपुर के लोग थे जो रास्ते पर पड़े लोगों का दर्द समझते हैं इसलिए बच्ची मां से अलग होने के बावजूद जिंदा थी।
ब्यरोचीफ
कवीन्द्र पयाल
उत्तराखण्ड
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