नई दिल्ली: मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषण के असर का आकलन करने के लिए सरकार खुद अपनी ओर से अध्ययन कराएगी। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अनिल माधव दवे ने कहा कि सरकार वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है। उन्होंने प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों और उनके प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्यों का विस्तृत ब्यौरा दिया। हाल ही में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण के विभिन्न स्तरों की पहचान करने के लिए एक श्रेणीबद्ध कार्य योजना को अधिसूचित करने के लिए भेजा गया है। कई मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों को रोकने के लिए सावधानी बरतने और इसका अध्ययन करने की जरूरत है।
सरकार देशभर में वायु प्रदूषण की विभिन्न प्रवृत्तियों पर निगरानी रखने के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के तहत निगरानी रख रही है। निगरानी नेटवर्क मैनुअल स्टेशनों के जरिए 29 राज्यों और 6 केन्द्रशासित प्रदेशों के 300 से अधिक शहरों में फैला है। मैनुअल स्टेशनों के अलावा 12 राज्यों के 33 शहरों में सतत् परिवेश, गुणवत्ता निगरानी स्टेशन मौजूद हैं। सभी मेट्रों शहरों और कस्बों को कवर करने के लिए निगरानी नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है।
निगरानी के परिणामों से पता चलता है कि पार्टिकुलेट मैटर्स के स्तर की एक अस्थिर प्रवृति है। एसओ2 की दर सामान्य तौर पर तय सीमा के अंदर है, जबकि एनओ2 की दर में उतार-चढ़ाव है और यह तय सीमा से अधिक है। सरकार के मुख्य चिंता का कारण पार्टिकुलेट मैटर्स है और सरकार व्यवस्थित तरीके से इस समस्या का समाधान करने के लिए जरूरी कदम उठा रही है।
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