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साईबर अपराध से बचने के लिये e-wallet को जाने

उत्तराखंड

देहरादून: देखने में आ रहा है कि फर्जी कॉल कर बैंक उपभोक्ताओं को आये दिन ठगी का शिकार बनाने वालो की घटनाऐं हो रही है। इन लोगो द्वारा बैंक उपभोक्ताओं से उनके डेबिट/क्रेडिट की फोन पर जानकारी प्राप्त कर उनके खाते से ऑनलाईन पैसा विभिन्न e-wallet जैस- Paytm, SBI Buddy, Vodafone m-pesa, Oxigen, Flipkart आदि में ट्रान्सफर कर विभिन्न नम्बरों पर मोबाइल, डिस टी0वी रिचार्ज, तथा ऑनलाईन शॉपिग कर ली जाती है।

क्या होता है e-wallet
इ-वॉलेट एक तरह का ऑनलाइन प्रीपेड अकाउंट होता है, जिसमें कोई भी रूपये जमा कर सकता है और जरूरत पड़ने पर उन पैसो का इस्तेमाल भी का सकता है, प्रीपेड मोबाइल की तरह इस प्रीपेड अकाउंट में पहले रूपये जमा करने पड़ते हैं, उन रुपयों से ऑनलाइन कोई भी सामान खरीद सकते हो, इसका बड़ा फायदा है कि ऑनलाइन शॉपिंग के लिए क्रेडिट या डेबिट कार्ड का विवरण देने की आवश्यकता प्रतीत नहीं होता है। E-Wallet को आसानी से Play Store के द्वारा मोबाइल में डाउनलोड कर इसका प्रयोग किया जा सकता है।

तीन प्रकार के इ-वॉलेट
1- क्लोज वॉलेट:– यह सुविधा किसी कंपनी द्वारा सिर्फ अपने ही ग्राहकों को दी जाती है, यानि वेबसाइट या एप के वॉलेट में जमा पैसो को सिर्फ उसी वैबसाइट या एप से प्रोडक्ट्स खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे – Flipkart, Snapdeal जैसी शौपिंग वैबसाइटस और ओला, उबर आदि कंपनिया क्लोज वॉलेट की सुविधा देती है |
2- सेमी-क्लोज्ड वॉलेट:– यह सुविधा देनेवाली कंपनी का अन्य कंपनियों से करार होता है, यानि इस वॉलेट के जरिये अन्य कंपनियों के उत्पाद (ऑनलाइन शौपिंग, मोबाइल रिचार्ज, बस या मूवी टिकट, आदि) के लिए पेमेंट कर सकते हों, जैसे Paytm और Mobikwik जैसी वैबसाइट इसके उदाहरण हैं |
3- ओपन वॉलेट:– इस तरह के वॉलेट की सुविधा सिर्फ बैंक ही दे सकते हैं, इनके जरिये पैसे ट्रान्सफर करने से लेकर ऑनलाइन शौपिंग, एटीएम से पैसे निकालने, ऑफलाइन पेमेंट (दुकान) का लाभ लिया जा सकता है, इसके लिए बैंक अकाउंट अनिवार्य है |
सुश्री पी0 रेणुका देवी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्पेशल टास्क फोर्स, उत्तराखण्ड द्वारा बताया गया कि साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन के बैंक फ्रॉड सैल में इस प्रकार की शिकायतें लगातार प्राप्त हो रही है। इस e-wallet सुविधा का दुरूपयोग जालसाजो द्वारा किया जा रहा है। वह बैंक उपभोक्ताओं को फर्जी कॉल कर उनके डेबिट/क्रेडिट कार्ड की जानकारी प्राप्त कर उनके खाते की धनराशि की e-wallet के माध्यम से निम्न प्रकार खर्च कर दी जाती है।
1- e-wallet में पैसा पंहुचते ही जालसाजों द्वारा विभिन्न नम्बरों पर मोबाइल, डिस टी0वी रिचार्ज, तथा ऑनलाईन शॉपिग कर ली जाती है।
2- e-wallet से वह पैसा विभिन्न बैंक के विभिन्न खातों में ट्रान्सफर कर डेबिट कार्ड के माध्यम से आहरित कर लिया जाता है।
ए0टी0एम0 धोखाधड़ी के शिकार हुये मामलों में शिकायतकर्ता द्वारा पुलिस में शिकायत करने में होने वाली देरी व के कारण e-wallet से ऑनलाईन शॉपिंगं/रिचार्ज/मनी ट्रान्सफर की धनराशी की वापसी की सम्भावना कम हो जाती है। e-wallet मोबाइल नम्बर बेस एप्लीकेशन होने के कारण इसका दुरूपयोग अधिक हो रहा है। अतः इस प्रकार के साईबर अपराधों से बचने हेतु जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।

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