भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 2 सितंबर 2018 को यह पर्व मनाया जाएगा। भगवान विष्णु के आठवें अवतार कृष्णजी का जन्म भारत सहित दुनियाभर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। नि:संतान दंपतियों के लिए इस बार की जन्माष्टमी विशेष प्रयोजन वाली रहेगी। संतान सुख प्राप्त करने के लिए ये दिन बेहद ही खास माना जाता है।
जन्माष्टमी का पर्व कृष्ण भक्तों के लिए सबसे खास होता है। इस दिन सभी कृष्ण भक्त व्रत रख कर कान्हा जी की पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं। कुछ भक्त जन्माष्टमी के खास मौके पर मथुरा का रूख करते हैं। वहां मौजूद कृष्ण जन्मभूमि, प्रेम मंदिर, बांके बिहारी और राधारमन मंदिर जाकर कृष्ण जी के दर्शन करते हैं। मुम्बई में इस खास मौके पर कृष्ण भक्त दही हांडी का खेल रचाते हैं और भगवान कृष्ण को माखन से नहलाते हैं।
इस जन्माष्टमी खास संयोग के चलते, ये दिन उन लोगों के बेहद खास होने वाला है, जिन दंपतियों को संतानसुख प्राप्त नहीं हुआ है। वे इस दिन सिर्फ एक मंत्र का जाप करने से संतानसुख से जुड़ी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है।
मंत्र
ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गत:।।
श्रीकृष्ण का यह मंत्र अत्यंत प्रभावी है। इसका जाप यदि जन्माष्टमी की रात्रि में किया जाए तो नि:संतानता दूर हो जाती है। इस मंत्र को जन्माष्टमी की रात्रि में वृषभ लग्न, रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में 21 माला जाप करना फलदायक होता है। स्फटिक माला से जाप करना ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता है।
इस मंत्र जाप करने के लिए घर के पूजा स्थान में पीले रंग का आसन बिछाकर बैठे। एक पटले पर पीला रेशमी कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इस पर मोरपंख जरूर लगाएं और मूर्ति के सामने एक कटोरी में माखन और मिश्री भरकर रखें। दूसरी कटोरी में शुद्ध जल लेकर अपनी इच्छित कामना की पूर्ति के लिए हाथ में पूजा की सुपारी, अक्षत, पीला पुष्प और कुछ दक्षिणा रखकर संकल्प लें। इसके बाद धूप-दीप करके मंत्र जाप प्रारंभ शुरू करें। ये मंत्र तभी फलदायक होगा, जब पति-पत्नी दोनों एक साथ जाप करेंगे। इसके बाद से प्रतिदिन एक माला इस मंत्र की जाप करते रहें। निरंतर करने से मनोकामना जल्द ही पूरी होती है।