महिला कल्याण विभाग की सहायता से संचालित होने वाले यह विशेष प्रकोष्ठ हिंसा पीड़ित महिलाओं व बच्चों को उनकी आवश्यकतानुसार तात्कालिक व त्वरित सहायता उपलब्ध कराने में मदद करेंगे। प्रथम चरण में प्रदेश के 11 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह प्रकोष्ठ खोले जाएंगे। इनकी सफलता को देखकर भविष्य में इन्हें प्रदेश के सभी जिलों, तहसील एवं ब्लॉक मुख्यालय तक स्थापित किये जाने पर भी विचार किया जायेगा।
यह जानकारी आज कमाण्ड सेंटर एनेक्सी में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान दी गयी। बैठक में प्रमुख सचिव, गृह श्री देबाशीष पण्डा एवं महिला कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव, श्रीमती रेणुका कुमार द्वारा इस संबंध में विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तार से विचार विमर्श भी किया गया। इन केन्द्रों पर स्वंयसेवी संगठनों के प्रशिक्षित कार्यकर्ता आवश्यक जानकारी एवं सहायता उपलब्ध कराने कराने हेतु उपलब्ध रहेंगे। प्रथम चरण में इस योजना में प्रदेश के सभी 8 जोनल मुख्यालयों के अलावा जनपद गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर एवं कन्नौज प्रस्तावित किये गये है।
प्रमुख सचिव गृह ने निर्देशित किया है कि पीड़ित महिला के पहुंचने पर उसे किस प्रकार की सहायता कहां पर और कौन उपलब्ध करायेगा, इससे संबंधित पूरे विवरण का अध्ययन कर एक एस0ओ0पी0 (कार्ययोजना) बनायी जाये ताकि मौके पर उपस्थित कर्मी तद्नुसार, तत्परता से कार्यवाही करा सके। बैठक के दौरान टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंसेस के प्रतिनिधियों द्वारा एक प्रस्तुतिकरण किया गया जिसके माध्यम से उनके द्वारा इस दिशा में किये गये कार्याे की विस्तृत जानकारी भी दी गयी।
प्रमुख सचिव, महिला कल्याण विभाग श्रीमती रेणुका कुमार ने बताया कि प्रदेश में रानी लक्ष्मी बाई महिला सम्मान कोष का क्रियान्वयन शासन के चिन्हित कार्यक्रमों में प्रमुख है। उन्होंने बताया कि आशा ज्योति केेन्द्र के 11 जनपदों में विभिन्न भागीदारी विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों, पुलिस थाना स्तर सहित व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम यूनिसेफ के सहयोग से दिये जाने की योजना है। सी0आई0सी0 के तहत हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बच्चों के लिए विशिष्ट सेवाएं प्रदान की जायेगी तथा प्रत्येक सी0आई0सी0 को जनपद के आशा ज्योति केन्द्र से भी जोड़ा जायेगा। टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंसेस द्वारा इस संबंध में उल्लेखनीय कार्य किया गया है।