नई दिल्ली: “उच्चतम न्यायालय के तमिलनाडु को कावेरी का पानी छोड़े जाने के निर्देश के मद्देनजर पड़ोसी राज्यों कर्नाटक और तमिलनाडु में हुई हिंसा चिंता का विषय है। इस तरह की हिंसा को किसी भी आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
हिंसा और संपत्ति की क्षति से अंततः आम आदमी के जीवन पर ही प्रभाव पड़ता है।
दोनों राज्यों के लोग बड़ी संख्या में कर्नाटक और तमिलनाडु में रहते हैं और अपनी पसंद के अनुरूप इन राज्यों में रहते हुए विकास में महत्वपूर्ण योगदान भी कर रहे हैं। उनमें असुरक्षा की भावना नहीं आनी चाहिए क्योंकि संविधान में प्रत्येक नागरिक, पुरूष/स्त्री को देश में अपनी पसंद के स्थल पर रहने का अधिकार है।
हिंसा और जवाबी हिंसा से न सिर्फ मामला और जटिल होगा बल्कि यह किसी भी राज्य के हित में नहीं होगा। दोनों राज्य सरकारों को तत्काल हिंसा की जांच करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
मैं दोनों राज्यों के लोगों से शीघ्र शांति और स्थिति को सामान्य बनाने में सहयोग की अपील करता हूँ। मैं दोनों राज्य सरकारों और राजनीतिक दलों के नेताओं से भी हिंसा को रोकने और अन्य राज्य के लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक और प्रभावी कदम उठाने की अपील करता हूँ।
मैं मीडिया से भी दोनों राज्यों में घटनाओं पर रिपोर्टिंग करते समय संयम बरतने की अपील करता हूँ। इस तरह की घटनाओं को दिखाने से हिंसा में वृद्धि की संभावना होती है। मुझे आशा है कि दोनों राज्यों में शांति और सामान्य स्थिति को बहाल करने में मीडिया एक रचनात्मक भूमिका निभा सकता है। ” – एम.वैकेया नायडू