19.9 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

शोध प्रक्रिया की शुचिता बनाये रखनी जरूरी: राज्यपाल बेबी रानी मौर्य

उत्तराखंड

देहरादून: राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने राजभवन में सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ता हेतु राज्यपाल पुरस्कार-2018 प्रदान किये। इस वर्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े तीन शोध विषयों को प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार मिले। यू0टी0यू0 के डाॅ0 अनुज नेहरा को ‘ग्राफीन आक्साइड पाॅली कार्बोनेट’ पर आधारित रैपिड एच.आई.वी.सीरम टेस्टिंग किट विकसित करने के लिए पहला पुरस्कार मिला। अनुज के इस कार्य को इण्डो-अमेरिका पेटेंट भी मिला है। जी0बी0पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के डाॅ0 अनिल कुमार को ब्रैसिका स्पेसीज में ‘अल्टरनारिया ब्लाइट डिजीज’ के क्षेत्र में किये गये कार्य हेतु द्वितीय पुरस्कार मिला। दून विश्वविद्यालय के डाॅ0 कोमल को ‘फंजी लैम्डा-टाउ टेक्नीक’ के क्षेत्र में किये गये कार्य हेतु तृतीय पुरस्कार मिला।

राज्यपाल शोध पुरस्कारों के अन्तर्गत प्रशस्ति पत्र के साथ-साथ प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर क्रमशः रू0 50 हजार, 30 हजार, 20 हजार धनराशि प्रदान की जाती है।

राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने अगले वर्ष से सामाजिक विषयों तथा लोक भाषाओं के क्षेत्र में किये जाने वाले शोध कार्यों हेतु दो नये पुरस्कार भी जोड़ने की घोषणा की।

इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि गुणवत्तायुक्त मौलिक शोध कार्य किसी भी विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा का सबसे बड़ा मानक होते हैं। विश्वविद्यालयों में समाज की विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों के समाधान हेतु अध्ययन तथा शोध किया जाना चाहिए। इन पुरस्कारों को प्रारम्भ करने के पीछे यही उद्देश्य है कि मौलिक शोध कार्यों को प्रोत्साहन मिले और इन शोध कार्यों से समाज को, राज्य को लाभ मिले। विश्वविद्यालयों का कार्य पाॅलिसी निर्माण में सरकार की सहायता करना भी है।

राज्यपाल ने कहा कि शोध के लिए विद्यार्थियों का चयन करते हुए भी सभी मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। शोध प्रक्रिया की शुचिता बनाये रखने की जिम्मेदारी शोधार्थी के साथ-साथ विश्वविद्यालय की भी है।

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड के संदर्भ में, पर्वतीय क्षेत्रों के आर्थिक विकास, पयर्टन सैक्टर, आपदा प्रबंधन, योग, आयुर्वेद और जड़ी-बूटी के क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक-वैज्ञानिक शोध पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

सचिव राज्यपाल श्री रमेश कुमार सुधांशु ने कहा कि शोध कार्यो में महिलाओं की अधिकाधिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। शोध कार्यो के लिए अनुशासन अनिवार्य है। विश्वविद्यालय में शोध कार्यो द्वारा समस्याओं का निराकरण किया जाना चाहिए। प्राचीन काल से ही भारत के नालन्दा व तक्षशिला जैसे महान विश्वविद्यालयों की उपस्थिति से भारत की समृद्धि का पता चलता है। राज्य की चुनौतियों का समाधान विश्वविद्यालयों के माध्यम से किया जाना चाहिए।

कार्यक्रम को श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय,टिहरी गढवाल के कुलपति डाॅ0 यू0एस0रावत, शोधार्थी पुरस्कार चयन समिति के संयोजक एवं उत्तराखण्ड आवासीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एच0 एस0 धामी ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम में अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, गणमान्य अतिथि, एवं बड़ी संख्याा में छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दून विश्वविद्यालय के डीन प्रो0 एच.सी.पुरोहित ने किया

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More