नई दिल्ली: केंद्रीय विद्युत, कोयला, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने आज यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘’प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक सभी को किफायती बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। विद्युत मंत्रालय इस लक्ष्य को उससे कहीं पहले प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है।‘’ मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में कई उपलब्धियों और भावी चुनौतियों का उल्लेख किया।
भारत के ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने का उल्लेख करते हुए श्री गोयल ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से स्थापित क्षमता का 40 प्रतिशत प्राप्त करने और जीडीपी की कार्बन इंटेंसिटी या उत्सर्जित होने वाले कार्बन में 30-35 प्रतिशत तक कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। तब तक बढ़ती अर्थव्यवस्था की ऊर्जा संबंधी जरूरतें भी तीन गुना बढ़ जाएंगी और इसलिए अनुसंधान, नवाचार एवं विकास की भूमिका इस मामले को समग्रता के साथ सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि सर्वसाधारण को किफायती बिजली उपलब्ध कराने के लिए स्वच्छ कोयले, कार्बन डाई ऑक्साइड पर नियंत्रण तथा पुन:उपयोग, स्मार्ट ग्रिड्स जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकियां आदि कुछ नवीन समाधान हैं।
भारत की अन्य बातों के अलावा, अपनी आबादी के लगभग 40 प्रतिशत भाग को गरीबी की दलदल से बाहर निकालने, भोजन संबंधी जरूरते पूरी करने, नौकारियों और ढांचागत सुविधाओं का सृजन करने आदि जैसी विकास से संबंधित अपनी आवश्यकताएं हैं। भारत हालांकि अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इन्टेंसिटी में कमी लाने के पथ पर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और वित्तपोषण के माध्यम से विकासशील देशों को टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल वृद्धि की स्थिति प्राप्त करने में सहायता देने की अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने की आवश्यकता है।
बिजली क्षेत्र की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए श्री गोयल ने उदय योजना की सफलता का उल्लेख किया और कहा कि वर्ष 2019 तक कोई भी सरकारी बिजली वितरण कंपनी घाटे में नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि मंत्रालय विभिन्न सरकारी बिजली वितरण कंपनियों के कामकाज के बारे में आंकड़ें जुटाने और उनका विश्लेषण करने में संलग्न है ताकि त्रुटियों का पता लगाया जा सके और उन्हें जल्द से जल्द सुधारा जा सके। श्री गोयल ने कहा कि केन्द्र में सरकार का संघीय ढांचा सुधार के एजेंडें को राज्यों पर नहीं थोप सकता, बल्कि प्रौद्योगिकी और वित्तीय सहायता, अतिरिक्त बिजली के रूप में उनके साथ सहयोग कर सकता है, ताकि वे बराबरी पर आ सके और दक्षता से निष्पादन कर सकें।
विद्युत क्षेत्र को दक्ष बनाने में पारदर्शिता की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में श्री गोयल ने कहा कि आज इस क्षेत्र के प्रत्येक पहलु के बारे में चाहे वह कोयला ब्लॉक की ई-नीलामी से जुड़ी जानकारी हो, प्रतिस्पर्धात्मक बोली के माध्यम से प्रभावी मूल्य पता लगाना हो या फिर विद्युत प्रवाह एप के माध्यम से बिजली के मूल्य के आंकड़ें प्रदान करने हों यह सारी सूचना जनता को आसानी से सुलभ हो जाती है। श्री गोयल ने कहा कि निजी क्षेत्र आर्थिक रूप से व्यवहार्य मूल्य का पता लगाने के लिए सुविज्ञ है और सरकार इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने में यकीन नहीं रखती। उन्होंने सौर ऊर्जा क्षेत्र की सफलता का उल्लेख किया, जहां सौर पैनलों के दामों में 40 प्रतिशत तक कमी आई है। श्री गोयल ने कहा कि पवन ऊर्जा क्षेत्र भी जल्द ही इसी रास्ते का अनुसरण करेगा।
अनुसंधान और विकास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्री गोयल ने कहा कि सरकार स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में प्रमुख देशों के साथ बातचीत करने और इस सहयोग को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में है। श्री गोयल ने ‘सभी को किफायती बिजली उपलब्ध कराने’ के उद्देश्य से भारत में युवाओं से नए विचार और नवाचार आमंत्रित किए।