चैत्र नवरात्र चल रहा है. इस पर्व में देवी के हर स्वरूप की पूजा की जाती है. देवी के हर स्वरूप को भक्त अपने नयन में बसाकर जीवनपर्यंत रखना चाहते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के भिन्न स्वरूप के अपने महत्व है. चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है.
आज नवरात्रि का चौथा दिन है और आज अपनी मंद हंसी से ब्रह्माण्ड का निर्माण करने वाली और देवी मां के चौथे रूप की पूजा होती है. शास्त्रों में कहा गया है कि मां कूष्मांडा की पूजा सुख-समृद्धि और उन्नति दायक होती है. सिंह पर सवार मां कूष्मांडा सूर्यलोक में वास करती हैं, यह क्षमता किसी अन्य देवी देवता में नहीं है. मां कूष्मांडा अष्टभुजा धारी हैं. इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा हैं.
पूजा की विधि शुरू करने से पहले हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम करें. इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक और सप्तशती मंत्रों से मां कूष्माण्डा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें. धूप-दीप, फल, पान, दक्षिणा, चढ़ाएं और मंत्रोपचार के साथ पुष्पांजलि अर्पित करें. इसके बाद माता को प्रसाद अर्पित करें और आरती करें. फिर सभी में यह प्रसाद वितरित कर दें.
मां कूष्मांडा को चढ़ाएं विशेष प्रसाद
माता को इस दिन मालपुए का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं और बुद्धि का विकास करती हैं. साथ-साथ निर्णय लेने की शक्ति भी बढ़ाती हैं. मां कूष्मांडा की उपासना, मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है. सच्चे मन से मां से जो भी मांगो वो जरूर पूरा होता है.