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आज है वरुथिनी एकादशी, यहाँ जानिए व्रत कथा

अध्यात्म

आप सभी को बता दें कि हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है और ऐसे में यह व्रत रखने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. जी हाँ, कहा जाता है हर महीने में दो एकादशी होती हैं जिनका अपना महत्व है. ऐसे में वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है और इस बार यह 30 अप्रैल को है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पुण्य लाभ भी मिलता है. तो आइए आज जानते हैं वरूथिनी एकादशी की व्रत कथा.

वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा: प्राचीन समय में नर्मदा नदी के किनारे मांधाता नाम का एक राजा रहता था. वह हमेशा ईश्वर की भक्ति में लीन रहता और काफी दानी स्वभाव का था. राजा एक दिन घने जंगल में नारायण भगवान की तपस्या कर रहा था कि तभी वहां एक भालू आ गया. भालू ने राजा पर हमला बोल दिया और उसका एक पैर खा लिया. इसके बावजूद राजा टस से मस नहीं हुआ और तपस्या करता रहा.

इसपर भालू का हौंसला और बढ़ गया और वो राजा को जंगल में घसीटते हुए ले गया. राजा ने मन ही मन भगवान विष्णु को याद किया. भक्त की पुकार पर भगवान विष्णु ने प्रकट होकर अपने सुदर्शन चक्र से भालू का गला काट दिया.इसके बाद भगवान विष्णु राजा मांधाता से बोले कि ‘भक्त, यह तुम्हारे पिछले जन्म के पाप का परिणाम था. लेकिन अगर तुम मथुरा जाकर वरुथिनी एकादशी के दिन मेरे वाराह अवतार की पूजा करते हुए व्रत रखो तो उनके फलस्वरूप तुम्हारे पैर फिर से वापस आ जाएंगे.

भगवान की बात मानकर राजा मान्धाता मथुरा जाकर विष्णु भगवान की पूजा करने लगा इसके बाद उसके पैर ठीक हो गए. इसके बाद राजा इस लोक में ऐश्वर्य को भोगता हुआ स्वर्ग को प्राप्त हुआ. इस दिन व्रत रखकर कथा पढ़ने वाले भक्तों को 10 हजार साल तक तपस्या करने का फल मिलता है.

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