लखनऊ: राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री एस0एन0 अग्निहोत्री ने बताया कि आपसी सुलह समझौतों के आधार पर विभिन्न वादों को हल कराने के लिए लोक अदालत के माध्यम से सुदृढ़ व्यवस्था की गयी है। श्री अग्निहोत्री ने बताया कि लोक अदालत विवादों को समझौते के माध्यम से सुलझाने के लिए एक वैकल्पिक मंच है। सभी प्रकार के सिविल मुकदमें या ऐसे गंभीर अपराधों को छोड़कर जिसमें समझौता वर्जित है, सभी शमनीय आपराधिक मामले भी लोक अदालतों द्वारा निपटाये जा सकते हैं।
श्री अग्निहोत्री ने बताया कि लोक अदालतों के फैसलों को अदालत का फैसला माना जाता है जिसे कोर्ट की डिक्री की तरह सभी पक्षों पर अनिवार्य रूप से बाध्यकारी होता है और उसे लागू कराया जाता है। लोक अदालत के फैसलों के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है। लोक अदालत में समझौते के माध्यम से निस्तारित मामलों में अदा की गयी कोर्ट फीस लौटा दी जाती है। निःशुल्क विधिक सहायता हेतु टोल फ्री नम्बर 1800-419-0234 पर सम्पर्क करके जानकारी प्राप्त की जा सकती है
श्री अग्निहोत्री ने बताया कि किसी भी लम्बित वाद, विवाद, शिकायत को मासिक राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारण हेतु सम्बन्धित अधिकरण, फोरम एवं न्यायालय के पीठासीन अधिकारी, जनपद-न्यायालय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से सम्पर्क करके अपने विवादों को निस्तारित करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि 08 अगस्त को मासिक राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन पूरे प्रदेश में किया जायेगा।इसमें बैंक सम्बंधी वादों, बैंक ऋण वसूली आदि के मामलों का आपसी सुलह समझौते के आधार पर निस्तारण कराया जायेगा।