लखनऊ: वरिष्ठ दंत रोग विशेषज्ञ डा0 अखिल अग्रवाल के अनुसार प्रायः दांतों में इंफेक्शन (संक्रमण) या कीड़े की शुरूआत ऊपरी सतह से होती है, जिसे इनेमल कहा जाता है और धीरे-धीरे दूसरी परत (डेन्टीन) एवं फिर तीसरी सतह (पल्प) में प्रवेश कर जाता है। पहली दो परतों में इंफेक्शन होने पर व्यक्ति को ज्यादा दर्द या बीमारी का आभास नही होता है, किन्तु जब दांत की अंदरूनी परत में इंफेक्शन पहुंच जाता है, तो तेज दर्द का अहसास होता है।
अधिकतर ऐसी स्थिति में मरीज मेडिकल स्टोर से स्वयं दर्द निवारक दवा लेकर उपचार करने लगते है। जिसके कारण दांत की जड़ के नीचे घीरे-धीरे मवाद पड़ने लगता है और एक छोटी गांठ पड़ जाती है, जिसे ग्रेनोलोमा कहते हैं। यदि इसके बावजूद रोग को नजर अंदाज किया जाता है, तो यह सिस्ट या फिर ट्यूमर (कैंसर) में परिवर्तित हो जाता है।
जो व्यक्ति तंबाकू का सेवन करते है तो इसके प्रारंभिक लक्षण मसूड़ों एवं गालों की अन्दर की त्वचा पर सफेद और लाल निशान पड़ जाते हैं तथा मुंह का खुलना बहुत कम हो जाता हैं प्रारम्भिक अवस्था में इसका इलाज सम्भव है, अन्यथा यह कैंसर से बदल कर जानलेवा सिद्ध हो सकता है।
दांतो के किसी भी रोग, बदबू आने, तंबाकू एवं तंबाकू जनित पदार्थों के सेवन, चाय, कोल्ड ड्रिंक, अल्कोहल के सेवन आदि पर नियन्त्रण रखें।
इससे बचाव के लिए प्रत्येक 06 माह पर दाँतों का चेकअप करायें, नियमित रूप से दिन में दो बार ब्रश, डेन्टल फ्लाॅस से दाँतों की दरारों की सफाई, विटामिन युक्त खाद्य पदार्थों फल व हरी सब्जियों का सेवन, फास्टफूड का कम सेवन, वर्ष में एक या दो बार दांतों की सफाई करवाएं।
इंफेक्शन से होने वाले कैंसर एवं सिस्ट डेन्टीजीरस सिस्ट जो कि मुख्यतः अकल दाढ़ों (थर्ड मोलर) में पाई जाती है। पेरी एपाइकल सिस्ट जो कि दांत के ग्रेनो लोमा (गांठ) में परिवर्तित हो जाती है। ओडोन्टोजेनिक ट्यूमर्स जो कि जबड़े की हड्डी में पाए जाते हैं। इनके मुख्य लक्षण दांतों का हिलना, ऊपर एवं नीचे के दांतों का मुंह बंद करने पर सही प्रकार से ना मिल पाना गंभीर कारण है, अतः ऐसी स्थिति में तत्काल वरिष्ठ दंत रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क कर उचित इलाज करायें।