लखनऊ: देश में मिलने वाली शिक्षा को उच्च स्तर पर ले जाने और विदेश में शिक्षा के लिए जाने वाले छात्रों की संख्या को कम करने के उद्देश्य से सरकार टॉप के विदेशी संस्थानों के प्रोफेसरों को भारत में पढ़ाने के लिए बुलायेगी। अभी ये लक्ष्य हर साल पांच सौ प्रोफेसरों को पढ़ाने के लिए भारत में आमंत्रित करने का है जिसे बाद में बढ़ाकर एक हजार करने की योजना है।
सरकार के इस मकसद की जानकारी आज बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन करते हुए केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री श्री रामशंकर कठेरिया ने दी।
केन्द्रीय मंत्री ने विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित और इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन किया जिसका विषय है, भारत में शिक्षा का निजीकरण और सामाजिक न्याय।
इस मौके पर माननीय मंत्री श्री रामशंकर कठेरिया ने कहा कि देश में शिक्षा के क्षेत्र में प्राइवेट संस्थानों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। लेकिन देश में आजतक जो भी व्यक्ति महान हुए हैं उन्होंने संसाधन नहीं बल्कि साधना के दम पर उपलब्धियां हासिल की है। पैसे के दम पर पढ़ाई करने वालों की सोच में अंतर आ जाता है।
हालांकि उन्होंने प्राइवेट संस्थानों की गुणवत्ता को बढ़ाये जाने की भी आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि शिक्षक देश की बौद्धिक संपत्ति है और देश की पूंजी बैंकों में नहीं बल्कि विश्वविद्यालयों में होती है। आज के छात्रों को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के जीवन से सीख लेने की सलाह देते हुए माननीय मंत्री ने कहा कि अंबेडकर जी का जीवन सामाजिक और राष्ट्रीय एकता को समर्पित था।
शिक्षा को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए माननीय मंत्री ने कहा कि सरकार विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और सचिवों के साथ बैठक करके शिक्षा नीति तैयार करने का प्रयास कर रही है। इस मौके पर विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति श्री आरसी सोबती ने भी संस्थान की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। दो दिन तक चलने वाले इस सेमिनार में छह तकनीकी सत्र चलेंगे जिसमें विशेषज्ञ के तौर पर प्रो. सुधांशु भूषण, प्रो. आईएस चौहान, प्रो. नंदूराम, प्रो. बीके नागला, प्रो. रमेश दीक्षित सहित कई प्रमुख विद्वान मौजूद रहेगें।