नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत सरकार बुनियादी ढांचा, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में निवेश किए जाने को उच्च प्राथमिकता देती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विकास के लिए इक्विटी में निवेश को आकर्षित करने हेतु राष्ट्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश कोष (एनआईआईएफ) बनाया है। उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन दोनों के ही अधिकारीगण आपस में मिलकर एनआईआईएफ की छतरी के नीचे एक भारत-ब्रिटेन उप-कोष की स्थापना की संभावनाएं तलाश रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि हम निकट भविष्य में काफी तेजी के साथ-साथ सकारात्मक ढंग से इस कार्य के क्रियान्वयन के लिए तत्पर हैं। वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने ये बातें तब कहीं जब ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री डॉ. लियाम फॉक्स आज यहां नॉर्थ ब्लॉक स्थित उनके कार्यालय में उनसे मिलने के लिए पहुंच गए थे।
वित्त मंत्री श्री जेटली ने भारत द्वारा द्विपक्षीय निवेश संवर्धन समझौते (बीआईपीए) की प्रस्तावित समाप्ति का भी उल्लेख किया, क्योंकि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) के एक नए मॉडल पाठ को मंजूरी दी है। बीआईटी के नए पाठ को ब्रिटिश सरकार के साथ पहले ही अप्रैल, 2016 में साझा किया जा चुका है। इसके अलावा, वित्त मंत्री ने ब्रिटेन में काम कर रहे प्रोफेशनलों (पेशेवर) और भारतीय कारोबार पर प्रस्तावित ‘ब्रेक्जिट’ के प्रभावों का भी मुद्दा उठाया। वित्त मंत्री ने कहा है कि ब्रिटेन की गिनती भारत के प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में होती है और वैश्विक आर्थिक सुस्ती और यूरो जोन में गहराए संकट के बावजूद भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय व्यापार काफी लचीला रहा है।
इससे पहले ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री डॉ. लियाम फॉक्स ने इस अवसर पर कहा कि ब्रिटेन भारत के साथ व्यापार एवं निवेश समझौतों को और ज्यादा व्यापक बनाने को इच्छुक है। डॉ. फॉक्स ने ‘भारत-ब्रिटेन टेक शिखर सम्मेलन’ के साथ आगामी 7 नवंबर को आयोजित होने वाली संयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति (जेटको) की बैठक में अपनी भागीदारी और ब्रिटेन की प्रतिबद्धता की घोषणा की। डॉ. लियाम फॉक्स वर्तमान में 28 से 30 अगस्त तक नई दिल्ली और मुंबई के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।