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भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख समिति के 63वें सत्र का परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने किया उद्घाटन

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दयाशंकर सिंह ने कहा है कि मुगलों और अग्रेंजो के निरन्तर आक्रमण के बावजूद भी भारत अपने सांस्कृतिक विरासत को बचाये रखने में सफल रहा। उन्होंने कहा कि भारत की गौरवशाली धरोहरें हैं, इनको बचाये रखना हम सब की जिम्मेदारी है ताकि भावी पीढ़ी इन दुर्लभ वस्तुओं का अवलोकन कर सके। उन्होंने कहा कि उ0प्र0 की छवि एवं प्राचीन धरोहरों की गौरवगाथा को दुनिया में प्रसारित करने के लिए विभिन्न पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया जाना चाहिए।
परिवहन मंत्री आज उ0प्र0 राजकीय अभिलेखागार महानगर विस्तार स्थित परिसर में भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख समिति के 63वें सत्र 2022-23 के शुभारम्भ के अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय अभिलेखागार संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली एवं उ0प्र0 राजकीय अभिलेखागार लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में किया गया है।
प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन श्री मुकेश मेश्राम ने अपने सम्बोधन में कहा कि दस्तावेजी सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने इसके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि समाज के हर व्यक्ति का दायित्व है कि वह ताम्रपत्र, भोजपत्र आदि पर अंकित ऐतिहासिक सामग्री का संरक्षण सुनिश्चित करे।
महानिदेशक राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली ने अपने उद्बोधन में भारतीय ऐतिहासिक रिकार्ड कमेटी की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए अभिलेखो के डिजिटाइजेशन पर प्रकाश डाला। महानिदेशक ने अपने भाषण में राष्ट्रीय अभिलेखागार की तर्ज पर राज्य अभिलेखागार द्वारा अभिलेख अधिनियम बनाये जाने पर जोर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख समिति (आई०एच0आर0सी0) के 06 अधिवेशन उत्तर प्रदेश में, जिनमें से 02 अलीगढ़ में एवं 04 लखनऊ में आयोजित किए गये। लखनऊ के 04 अधिवेशनों में से 03 अधिवेशन वर्ष 1975, 1987 एवं 2013 का आयोजन उत्तर प्रदेश राजकीय अभिलेखागार, लखनऊ द्वारा किया गया। इसी क्रम में करोना त्रासदी के पश्चात् चार वर्ष के अन्तराल पर 63वां अधिवेशन वर्तमान वर्ष 2022 में पुनः उ०प्र० राजकीय अभिलेखागार, लखनऊ एवं राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है।
इस अवसर पर विशेष सचिव संस्कृति श्री आनन्द सिंह के अलावा प्रो0 कपिल कपूर के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारीगण, विभिन्न प्रदेशों के राजकीय अभिलेखागारों एवं विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि इतिहासकार व गणमान्यजन उपस्थित थे।

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