एनआईआरडी एवं पीआर, हैदराबाद और आईजीपीआरएस जयपुर के सहयोग से पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 22 और 23 नवंबर, 2021 को जयपुर, राजस्थान में जन योजना अभियान के माध्यम से पेसा राज्यों के ‘आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन’ के लिए दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। श्री रविशंकर श्रीवास्तव, डीजी आईजीपीआरजीवीएस, श्रीमती रेखा यादव, संयुक्त सचिव, पंचायती राज मंत्रालय, श्री. पी. सी. किशन, सचिव, पंचायती राज, राजस्थान सरकार और श्री राजेंद्र सिंह कैन, अपर निदेशक, आईजीपीआरएस ने कार्यशाला का उद्घाटन किया। कार्यशाला में 8 राज्यों के 100 से ज्यादा प्रतिभागियों ने भाग लिया। डीजी, आईजीपीआरजीवीएस ने विभिन्न विभागों की योजनाओं के व्यावहारिक दृष्टिकोण और अभिसरण के साथ जीपीडीपी के महत्व पर प्रतिभागियों को संबोधित किया। संयुक्त सचिव, पंचायती राज मंत्रालय ने गुणवत्ता वाले जीपीडीपी के महत्व और इसके निष्पादन, नीतिगत हस्तक्षेप, एकीकृत, समावेशी और समग्र योजना के लिए डेटा संचालित दृष्टिकोण पर चर्चा की। मंत्रालय द्वारा विभिन्न डैशबोर्ड के माध्यम से उपलब्ध आंकड़ों का लाभ उठाकर आईईसी गतिविधियों, संबंधित विभागों की भागीदारी और साक्ष्य-आधारित योजना के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
इस कार्यक्रम में ग्रामीण विकास मंत्रालय, पीएफआरडीए (अटल पेंशन योजना), यूनिसेफ, यूएनएफपीए और कुदुम्बश्री-एनआरओ के अधिकारी भी उपस्थित थे। जीपीडीपी में विभिन्न स्कीमों के अभिसरण और ग्रामीण विकास के सामाजिक और आर्थिक कल्याण के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा की गई। योजना प्रक्रिया, क्रियान्वयन और योजनाओं की निगरानी पर राज्य के अधिकारियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, मॉडल पंचायतों के सदस्यों सहित प्रतिभागियों द्वारा पूरे दिल से भागीदारी और जीवंत चर्चा की गई।
दूसरे दिन पेसा राज्यों के विभिन्न ग्राम पंचायतों के प्रधानों/सरपंचों ने सभी प्रतिभागियों के साथ बागवानी, शून्य-बजट/जैविक खेती, मत्स्य पालन, डेयरी उत्पादन में वृद्धि और वर्मीकम्पोस्ट के प्रभावी उपयोग में अपनी विशेष पहल पर प्रकाश डाला। जमीनी स्तर के प्रतिनिधियों द्वारा आय सृजन और अपशिष्ट रहित खेती करने के लिए रचनात्मक व्यावसायिक विचार प्रस्तुत किए गए। विशेष रूप से सक्षम कर्मियों की भागीदारी को बढ़ावा देने और विशेष क्षमता वाले लोगों के विकास और सशक्तिकरण की सहायता करने वाली गतिविधियों को शामिल करने पर एक सत्र भी कार्यशाला का हिस्सा था।
तकनीकी सत्र में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर चर्चा शामिल थी और जीवंत ग्राम सभा आयोजित करने पर बल दिया गया। कार्यशाला में महाराष्ट्र, आंध्र, तेलंगाना, उड़ीसा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात राज्यों के सरपंचों की एक बड़ी संख्या में उपस्थिति थी जिन्होंने अपने अनुभव और अच्छी पद्धतियों को साझा किया।