देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड को केवल प्राकृतिक सौन्दर्य के रूप में ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक सौन्दर्य के रूप में भी पहचान मिले। इसके लिये प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, पारम्परिक लोक कला, संस्कृति, शिल्प, वाद्य की प्राचीन अलग-अलग विद्यााओं को बढ़ावा देने व संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोक कलाकारों की पेंशन पात्रता के लिये आयु सीमा 55 वर्ष की जायेगी।
नगर निगम प्रेक्षागृह में उफतारा की ओर से आयोजित सांस्कृतिक एवं सम्मान समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वालो को सम्मानित करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्कृष्टता की कोई सीमा नही है, हमारे संस्कृति एवं रंगकर्मी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे है तथा उत्तराखण्डियत को आधुनिकता के रूप में लोगों तक पहंुचा रहे है। उन्होंने कहा कि अभी इस क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। शीघ्र ही प्रदेश में फिल्म सलाहकार परिषद का गठन कर दिया जायेगा। क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों को प्रोत्साहन दिये जाने के साथ ही गौचर में भाषा बोली संस्थान, श्रीनगर में जागर महाविद्यालय तथा चितई व टिहरी में संग्रहालय स्थापित किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि जागरियेां को भी पेंशन प्रदान की जायेगी। उन्होंने इस अवसर पर हेलो यूके फिल्म का भी प्रिव्यू किया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वालों को सम्मानित भी किया। जिनमें ज्ञानचन्द वर्मा, ढोल वादक गीता कुकरेती, बिशन सिंह रावत, लोक गायन, आर0पी0जोशी, विज्ञान महावीर रवाल्टा साहित्य नरेश खन्ना फिल्मनिर्माण बलराज नेगी, गम्भीर सिंह ज्याला लोक कलाकार, मोती शाह संगीतकार आदि प्रमुख है।
इस अवसर पर विधायक एवं सभा सचिव राजकुमार, ललित फस्र्वाण आदि उपस्थित थे। संस्थान के अध्यक्ष कान्ता प्रसाद ने आभार व्यक्त किया।