देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव का शंखनाद होते ही क्षेत्रीय दलों ने भी जोड़ तोड़ शुरू कर दी है। खुद को कांग्रेस और भाजपा का बेहतर विकल्प बताने वाले उत्तराखंड क्रान्ति दल ने प्रदेश की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
उत्तराखंड कान्ति दल पहले जनवादी संगठन और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी से गठबंधन करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन यह कोशिश परवान नहीं चढ़ सकीं। जिससे पार्टी ने अकेले ही विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया है। यूकेडी की केन्द्रीय चुनाव संचालन समिति की बैठक के उपरांत यह निर्णय सामने आया है। इस बाबात हुई प्रेस कांफ्रेंस बताया गया कि विधानसभा क्षेत्रों की टीमें गठित कर संबंधित क्षेत्रों से जिलाध्यक्षों और विधानसभा संचालन समीतियों को लेकर चुनाव प्रचार- प्रसार एवं प्रबंधन की ठोस रणनीति तय की गई है। साथ ही कार्यकर्ताओं से यूकेडी की नीतियों को जन दृ जन तक पहुंचाने के लिए आह्वान किया गया। बैठक में यह पफैसला लिया गया कि सभी 70 सीटों पर यूकेडी अपना प्रत्याशी उतारेगा। जिन विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी घोषित नहीं हुए हैं उन सीटों पर चर्चा करके केन्द्रीय चुनाव संचालन समिति द्वारा केन्द्रीय अध्यक्ष एवं संसदीय बोर्ड को बता दिया गया है। केन्द्रीय चुनाव समिति ने इस बात पर भी मंथन किया कि भाजपा और कांग्रेस के बीच टिकट बटवारे को लेकर हो रही लड़ाई से यूकेडी को क्या लाभ मिल सकता है। उधर, रायपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं सुशील मंमगाई आज अपने समर्थकों के साथ उत्तराखंड कान्ति दल में शामिल हो गई हैं। मंमगाई उत्तराखंड आंन्दोलन एवं दल के कई कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर भागीदारी कर चुकी हैं। यूकेडी की बैठक में पूर्व अध्यक्ष त्रिवेन्द्र सिंह पंवार को चुनाव अभियान प्रसार समिति का अध्यक्ष बनाया है। पत्रकार वार्ता में बी.डी.रतूडी, सुरेन्द्र कुकरेती, ओमी उन्याल, डी.डी.शर्मा, सुनील ध्यानी, बहादुर सिंह रावत, जय प्रकाश उपाध्याय, संजय क्षेत्री, विरेन्द्र बिष्ट, डी.के. पाल, देवेन्द्र कण्डवाल, शैलेश गुलेरी, अतुल चन्द्र रमोला, हरीश पाठक, वाहिद खान, प्रताप कुंवर, किशन सिंह रावत, नत्थीलाल सेमवाल, अनिल डोभाल आदि मौजूद थे।
बीएचबीसी न्यूज।