लखनऊ: मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव से आज उलमा-ए-कराम के एक प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर मुसलमानों की शैक्षिक एवं सामाजिक उन्नति संबंधी ज्यादातर मांगो को पूरी किए जाने के लिए शुक्रिया अदा किया और आशा जताई कि उनकी अगुवाई में नई सरकार बनेगी। उन्होंने सेक्यूलर वोट के बंटवारे की साजिशों के प्रति मुस्लिम मतदाताओं को सावधान किया है।
प्रतिनिधि मंडल में मौलाना डा. सइदुर्रहमान साहब आजमी नदवी, प्रधानाचार्य दारूल उलूम नदवतुल उलमा, लखनऊ इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फंरगी महली, मौलाना शाह फख्रूद्दीन अशरफ कछौछवी, कछौछा शरीफ, मौलाना अब्दुल्लाह इब्नुल कमर देवबंद, शेख राशिद अली मीनाई सज्जादा नशीन दरगाह शाह मीना शाह, मौलाना इकबाल कादिरी, मौलाना इदरीस बस्तवी दारूल उलूम नदवतुल उलमा, मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीकी, प्रधानाचार्य दारूल उलूम फरंगी महल, शाह अनवर रहमान जिलानी सफवी सज्जादा नसीन आसीवन, शाह नजमुल हसन उर्फ शुएब मियां सज्जादा नशीन खैराबाद, मुफ्ती अबुल वातिन नोमानी इमाम ज्ञानवापी मस्जिद, वाराणसी, मौलाना हारून नदवी, मौलाना अब्दुल्लाह नदवी, शकील खान तथा मो0 यामीन शामिल थे।
उलमा-ए-कराम ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में मुख्यमंत्री जी ने मुसलमानों के हित में तमाम फैसले लिए हैं और उनकी रोजी-रोटी तथा सम्मान औैर सुरक्षा के विशेष कदम उठाए हैं। मुस्लिमों के हित में योजनाएं लागू की गई है।
उलमा-ए-कराम ने कहा है कि लोकतंत्र में सभी को अपनी पसंद का वोट देने का हक है लेकिन कुछ लोग धर्म के आधार पर वोट की अपील करने लगते हैं। ये वही लोग है जो अपनी सुविधा के अनुसार विभिन्न पार्टियों के पक्ष में अपीलें जारी करते रहते हैं। उनकी ये अपीलें सेक्यूलर वोट बांटने का नाकाम प्रयास हैं। हमारा प्रयास होना चाहिए कि सेक्यूलर वोट का विभाजन न हो।
इन उलमा-ए-कराम ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने निम्न कार्य और मुसलमानों के निर्माण एवं विकास के लिये किये जा रहे महत्वपूर्ण हैं।
150 मदरसों को वर्तमान में ग्रांट लिस्ट पर लिया गया। उर्दू को रोजी रोटी से जोड़ने का अपना वादा पूरा करते हुए 12 हजार उर्दू शिक्षकों को सरकारी नौकरियां दी। यूनानी डाक्टर्स को मार्डेन मेडिसिन प्रयोग करने का कानूनी अधिकार दिया, जिसमें कि 90 प्रतिशत मुस्लिम डाक्टर्स हैं। रामपुर में मशहूर स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मुहम्मद अली जौहर के नाम से विशाल विश्वविद्यालय स्थापित किया और अल्पसंख्यक घोषित करके मुसलमानों के शैक्षिक भविष्य को रौशन करने की कामयाब कोशिश की। आजादी के बाद से पहली बार उ. प्र. में दो डीजीपी मुसलमान बनाये गए। चीफ सेक्रेट्री के उच्च पद पर मुसलमान अफसर को नियुक्त किया। पहली बार बड़ी संख्या में मुस्लिम अफसरों को डीएम, एएसपी, एसपी व इत्यादि की जिम्मेदारी दी गयी। दो मुस्लिम अधिवक्ता को प्रदेश का एडिशनल एडवोकेट जनरल बनाया गया। यूपी में पहली बार दो मुसलमानों की नियुक्ति इनफार्मेशन जैसे उच्च पद पर की गयी।
समाजवादी सरकार ने अल्पसंख्यक विभाग के बजट में कई गुना वृद्धि की। मुस्लिम कब्रिस्तानों की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए 18 हजार कब्रिस्तानों की बाउण्ड्री वाल 13 सौ करोड़ की लागत से बनवाया गया। हाजियों की सहूलियत के लिए पिछली सरकार में लखनऊ में और इस बार गाजियाबाद में खूबसूरत हज हाउस बनाया गया। 11 लाख 52 हजार मुस्लिम महिलाओं को समाजवादी पेंशन दी गई। शहरों में नए इलाकों के साथ-साथ गलियां भी बडे पैमाने पर बनवायी गयीं। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के उर्स के अवसर पर सरकारी छुट्टी की घोषणा की गयी। आजादी के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर दंगा पीडितों को मुआवजा दिया गया। आजादी के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में मुसलमानों को मंत्री व प्रदेश मंत्री और विभिन्न विभागों का चेयरमैन बनाया गया।
उलमा-ए-कराम ने मुस्लिमों के हित में समाजवादी सरकार द्वारा लिए गए उक्त निर्णयों के लिए मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की सराहना की और उम्मीद जताई है कि नई सरकार के गठन होने पर मुस्लिमों के हित में और प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।