नई दिल्ली: केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती 22 मार्च, 2016 को नई दिल्ली
में गंगा किनारे वानिकी हस्तक्षेप पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जारी करेंगी।
गंगा संरक्षण कार्यक्रम के एक हिस्से के तौर पर गंगा नदी के किनारे पेड़ लगाने (वानिकी हस्तक्षेप) की योजना है। इस प्रक्रिया में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के तहत गठित राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने (एनएमसीजी) फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई), देहरादून को यह जिम्मेदारी दी है कि वह वानिकी हस्तक्षेप के बारे में एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करे। एफआरआई को यह जिम्मा, अप्रैल 2015 में दिया गया था।
एफआरआई ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट का मसौदा एनएमसीजी को 16 फरवरी, 2016 को सौंप दिया। इसके बाद जल संसाधन मंत्रालय ने इस पर अपनी मंजूरी देते हुए एफआरआई को इस रिपोर्ट को अंतिम रूप देने और इसमें एऩएमसीजी/मंत्रालय की विशेष टिप्पणियों और सुझावों को शामिल करने को कहा। अंतिम विस्तृत परियोजना रिपोर्ट केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर और केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री प्रोफेसर सांवरलाल जाट की उपस्थिति में जारी की जाएगी।
विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जारी होने के अवसर पर एक दिवसीय कार्यशाला का भी आयोजन किया जा रहा है। इसमें पांच भागीदार राज्यों ( उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल ) का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों और संबंधित राज्यों के वन विभागों, पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, इको टास्क फोर्स, आईटीबीपी, नेहरू युवा केंद्र संगठन तथा सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है।
विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में गंगा नदी के संदर्भ में राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सभी हितधारकों के साथ व्यापक सलाह-मशविरा किया गया है और इसमें विज्ञान पर आधारित कार्यपद्धति को शामिल किया गया है। इसमें देश के भीतर गंगा नदी थाले के बहुत विशाल क्षेत्र में से पूर्व-परिसीमित 83,946 वर्ग किलोमीटर गंगा क्षेत्र के आकाशीय विश्लेषण और मॉडलिंग के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस जैसी तकनीकों का इस्तेमाल शामिल है। एफआरआई ने नदी किनारे के प्राकृतिक, कृषि और शहरी क्षेत्रपर प्रस्तावित वन रोपण और अन्य पारंपरिक संरक्षण विधियों पर जानकारी जुटाने के लिए फील्ड डाटा के प्रारूप के चार सेट तैयार किए हैं। गंगा नदी के किनारे के पांच राज्यों से एफआरआई ने आठ हजार डाटा शीट्स प्राप्त की हैं। संस्थान ने संभावित वृक्षारोपण और ट्रीटमेंट मॉडलों से संबंधित आंकड़ों के मिलान, विश्लेषण और रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक सॉफ्टवेयर भी विकसित किया है।
विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में मृदा और जल संरक्षण, नदी किनारे के वन्य जीव प्रबंधन, दलदली भूमि का प्रबंधन जैसे संरक्षण हस्तक्षेपों के अलावा प्राकृतिक, कृषि और शहरी क्षेत्रों में व्यापक वृक्षारोपण तथा नीति और कानूनी हस्तक्षेपों, संयुक्त शोध, निगरानी और मूल्यांकन जैसी सहायक गतिविधियों तथा जन जागरण अभियानों की परिकल्पना की गई है।
पांच राज्यों के लिए 40 अलग-अलग वृक्षारोपण और ट्रीटमेंट मॉडल्स का चयन किया गया है। यह परियोजना पांचों राज्यों के वन विभागों द्वारा पहले चरण में पांच साल (2016-2021) की अवधि में कार्यान्वित की जाएगी।
इस परियोजना में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के दुर्गम भौगोलिक क्षेत्रों में पेड़-पौधे उगाने के लिए इको टास्क फोर्स की दो बटालियनों की सक्रिय भागीदारी की परिकल्पना की गई है। इस परियोजना में पांचों राज्यों के वन विभागों द्वारा निगरानी और जागरूकता अभियानों सहित विभिन्न प्रस्तावित कार्यकलापों के लिए आईटीबीपी, नेहरू युवा केंद्र संगठन और सामाजिक संगठनों को भी शामिल किये जाने की भी संभावना है।