लखनऊ: प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्रदेश के नक्सल समस्या से प्रभावित जनपदों सोनभद्र, चन्दौली एवं मिर्जापुर में मानक को शिथिल करते हुये 250 या उससे अधिक आबादी वर्ग की बसावटों को बारहमासी मार्गों से जोड़ा जा चुका है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना प्रथम एवं द्वितीय चरण के अन्तर्गत अब तक उत्तर प्रदेश में 57162.55 किमी0 सड़क का निर्माण हो चुका है। इस योजना में निर्मित मार्गों का 05 वर्ष तक रख-रखाव (अनुरक्षण) की जिम्मेदारी उसी ठेकेदार की होती है। अनुरक्षण का बजट राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। मार्गों की गुणवत्ता की जांच हेतु त्रिस्तरीय व्यवस्था है, जिसके माध्यम से मार्गों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है।
उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार मार्गों के उच्चीकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा बढ़ी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत रू0 155.00 करोड़ की लागत से 692 मार्ग, लम्बाई 1923 कि0मी0 ग्रामीण मार्गों के रिनीवल कार्य का लोकार्पण किया जा रहा है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-3 के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 तक उत्तर प्रदेश के लिए 18937.05 किमी0 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेश में प्रथम बैच के अन्तर्गत रू0 4130.27 करोड़ की लागत से 886 मार्ग, लम्बाई 6208.45 किमी0 के ग्रामीण मार्गों का शुभारम्भ किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, बैच-2 के अन्तर्गत लगभग 6000 किमी0 के डीपीआर तैयार हैं तथा अवशेष 4235 कि0मी0 के डीपीआर तैयार किये जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में 500 या इससे अधिक आबादी वाले सड़क-सम्पर्क से वंचित मजरों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना था, जिसे उत्तर प्रदेश में पूर्ण किया जा चुका है।