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नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत गंगा नदी के किनारे अवस्थित राज्य की कुल 132 ग्राम पंचायतों में व्यक्तिगत घरेलू शौचालय आच्छादन एवं ओ.डी.एफ. की स्थिति

उत्तराखंड

देहरादून: नमामि गंगा कार्यक्रम के तहत गंगा नदी के किनारे स्थित 132 ग्राम पंचायतों में शौचालयों के संबंध में कैग की रिपोर्ट पर स्थिति स्पष्ट करते हुए अपर सचिव एवं निदेशक नमामि गंगे डॉ.राघव लंगर ने बताया है कि खुले में शौच से मुक्त ग्राम पंचायतों की घोषणा जनपदों द्वारा बेसलाईन सर्वेक्षण 2012 में निर्धारित लक्ष्यों के आधार पर की गई थी। उक्त शौचालयों के निर्माण के बाद अगस्त 2015 से दिसम्बर 2016 के मध्य इन ग्राम पंचायतों को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त घोषित किया गया था। वर्तमान समय में भी 132 ग्राम पंचायतों में 430 परिवार जिनके पास शौचालय की सुविधा नहीं है वे या तो बेसलाईन सर्वेक्षण 2012 में छूट गये थे या जनसंख्या वृद्धि एवं परिवार विभक्त होने के कारण बढ़ गये हैं।

अपर सचिव एवं निदेशक नमामि गंगे डॉ.लंगर ने सम्पूर्ण राज्य के संबंध में यह भी बताया कि मई, 2018 में जनपदों द्वारा किये गये त्वरित सर्वेक्षण के आधार पर पूरे राज्य में अभी भी बेस लाईन सर्वेक्षण 2012 के बाद बढ़े हुए एवं बेस लाईन सर्वेक्षण 2012 में छूटे हुए लगभग 83,945 शौचालय विहीन परिवारों को चिन्ह्ति किया गया है। उक्त परिवारां की आच्छादित किये जाने हेतु Extra Budgetary Resources के रूपये 100.73 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि की मांग राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार से की गयी है।

परियोजना निदेशक ने बताया कि राज्य में जनपद चमोली, देहरादून, हरिद्वार, पौडी, रूद्रप्रयाग, टिहरी व उत्तरकाशी(कुल 07 जनपद) की गंगा नदी के किनारे अवस्थित 132 ग्राम पंचायतों (265 ग्राम/तोक) को जो कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत चयनित हैं, आधारभूत सर्वेक्षण 2012 के अनुसार कुल 29029 परिवार में से कुल 10019 परिवार शौचालय विहीन पाये गये थे। इन शौचालय विहीन परिवारों में से 9619 परिवारों को नमामि गंगे फंड के अन्तर्गत, 96 परिवारों को मनरेगा के अन्तर्गत, 101 परिवारों को मनरेगा/इंदिरा आवास से युगपतीकरण के माध्यम से, 59 परिवारों को निर्मल भारत अभियान के अन्तर्गत आच्छादित किया गया तथा अवशेष 144 परिवारों द्वारा स्वयं के संसाधनों/सी0एस0आर0 से लाभान्वित किया गया। इस प्रकार कुल 10019 परिवारों को शौचालय सुविधा से आच्छादित किया गया। इन 132 ग्राम पंचायतों में 10019 शौचालयों के अतिरिक्त भी स्वच्छ भारत कोष के अन्तर्गत 659 अक्रियाशील शौचालयों को क्रियाशील किया गया तथा अन्य 557 परिवारों हेतु शौचालयों का निर्माण किया गया। वर्तमान समय में भी 132 ग्राम पंचायतों में 430 परिवार जिनके पास शौचालय की सुविधा नहीं है वे या तो बेसलाईन सर्वेक्षण 2012 में छूट गये थे या जनसंख्या वृद्धि एवं परिवार विभक्त होने के कारण बढ गये हैं।

खुले में शौच की प्रथा से मुक्त ग्राम पंचायत की घोषणा जनपदों द्वारा बेसलाईन सर्वेक्षण 2012 में निर्धारित लक्ष्यों के आधार पर की गयी है। उपरोक्त शौचालयों का निर्माण के उपरांत अगस्त 2015 से दिसम्बर 2016 के मध्य इन ग्राम पंचायतों को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त घोषित किया गया। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की दिशा-निर्देशिका के अनुसार 2012 की बेस लाईन सर्वेक्षण के आधार पर ही शौचालय विहीन परिवार चिन्हित किये गये हैं। चिन्हित परिवारों के शौचालय निर्माण के उपरांत ही खुले में शौच की प्रथा से मुक्त की घोषणा की गयी है। राज्य सरकार द्वारा बेसलाईन सर्वेक्षण 2012 के अन्तर्गत चिन्हित 5,09,830 शौचालय विहीन परिवारों के शौचालय निर्माण करने के उपरांत सभी 13 जनपदों द्वारा ओडीएफ की घोषणा के उपरांत ही राज्य सरकार द्वारा जून, 2017 में ओडीएफ की घोषणा की गयी थी।

परियोजना निदेशक ने बताया कि उपरोक्त के अतिरिक्त भी लगभग 70,000 अतिरिक्त शौचालयों का निर्माण मनरेगा, आई0ए0वाई, सी0एस0आर0 एवं अन्य मदों से कराया गया है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की दिशा-निर्देशिका के अनुसार ऐसी ग्राम पंचायतें ओ0डी0एफ0 घोषित की जानी है जिनमे समस्त परिवार शौचालय का प्रयोग रहे हों एवं ग्राम पंचायत की सीमा के अन्तर्गत कहीं भी खुले में मल त्याग दृष्टिगत न हो रहा हो। स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) की दिशा-निर्देर्शिका के अनुरूप ग्राम पंचायतों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबन्धन को ओ.डी.एफ. के मानकों में सम्मिलित नही किया गया है। ओ.डी.एफ के समय ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबन्धन का कार्य प्रारम्भिक चरण में होने तथा व्यक्तिगत घरेलू शौचालय आच्छादन को वरीयता दिये जाने के क्रम में न्यून प्रगति प्राप्त हुयी है। जनपदों द्वारा ओ.डी.एफ. घोषणा के उपरान्त ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबन्धन के कार्यों को ओ0डी0एफ प्लस गतिविधियों में सम्मिलित करते हुये कार्य किये जा रहे हैं। वर्तमान में (अगस्त 2018 तक) राज्य में कुल 1352 ग्राम पंचायतों में एल.एल.डब्ल्यू.एम. की डी.पी.आर. जनपदों एवं ग्राम पंचायतों के माध्यम से गठित करा ली गयी हैं, उक्त में से नमामि गंगे के अन्तर्गत चयनित 132 ग्राम पंचायतों में से कुल 131 ग्राम पंचायतों में डी.पी.आर. का गठन करा लिया गया है, केवल 01 ग्राम पंचायत (जनपद चमोली की थराली) में डी.पी.आर. गठन का कार्य प्रगति पर है। वर्तमान में (अगस्त 2018 तक) राज्य की कुल 105 ग्राम पंचायतों में एस.एल.डब्ल्यू.एम. के कार्य पूर्ण करा लिये गये हैं, उक्त में से नमामि गंगे के अन्तर्गत चयनित कुल 21 ग्राम पंचायतों में भी कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं। अन्य ग्राम पंचायतों में कार्य प्रगति पर है।

राज्य में ग्राम पंचायतों में सामुदायिक स्वच्छता काम्प्लैक्सों का निर्माण 20 प्रतिशत सामुदायिक अंश से पूर्ण किया जाता है, उक्त के अतिरिक्त निर्माण हेतु भूमि की उपलब्धता, स्थान चयन, निर्माण की आवश्यकता, निर्माण के उपरान्त संचालन एवं रख-रखाव सम्बन्धी प्रस्ताव एवं सहमति ग्राम पंचायतों से प्राप्त होने के उपरान्त ही सामुदायिक स्वच्छता काम्प्लैक्सों हेतु धनराशि निर्गत की जाती है। स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) के अन्तर्गत वर्तमान तक राज्य में कुल 183 प्रस्तावित सामुदायिक स्वच्छता काम्प्लैक्सों में से 179 स्वच्छता काम्प्लैक्सों में कार्य पूर्ण करा लिये गये हैं। उक्त में से नमामि गंगे के अन्तर्गत स्थित ग्राम पंचायतों में कुल 10 सामुदायिक स्वच्छता काम्प्लैक्सों का निर्माण पूर्ण कराया गया है।

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