लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सिंचाई एवं सिंचाई (यांत्रिक) मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने अधिकारियों को कड़े निर्देश दिये कि सिंचाई विभाग की महत्वपूर्ण परियोजना कनहर को हर दशा में 2020 तक पूर्ण करे। उन्होंने कहा कि विगत लगभग 39 वर्षो से लंबित चल रही इस परियोजना को शीघ्र पूर्ण करना योगी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सिंचाई मंत्री ने आज अपराहन एक बजे सिंचाई विभाग मुख्यालय स्थिति वी0आई0पी0 निरीक्षण भवन के सभाकक्ष में कनहर सिंचाई परियोजना की गहन समीक्षा करते हुए अधिकारियों को सचेंत करते हुए कहा कि लापरवाही बतरने वाले अधिकारियों को चिन्हित करके उनके विरूद्ध शीघ्र कठोरतम् कार्यवाही की जायेगी।
सिंचाई मंत्री ने कहा कि कनहर सिंचाई परियोजना का मुख्य उददेश्य सोनभद्र के सूखाग्रस्त व आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र दुद्धी एवं राबर्टसगंज तहसील में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना है। आपने कहा कि इस परियोजना के पूर्ण होने से 35467 हजार हे0 में सिंचाई होगी जो निःसन्देह इस क्षेत्र के किसानों के लिए वरदान के रूप में फलित होगी।
श्री धर्म पाल सिंह ने परियेाजना हेतु अधिग्रहित की जाने वाली भूमि की धीमी कार्यवाही पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए सख्त हिदायत दी कि नवम्बर 2018 तक 150 हे0 की अधिग्रहण की कार्यवाही हर दशा में पूर्ण कर ली जायें। सिंचाई मंत्री ने ऐसे अधिकाारियों को चिन्हित कर दण्डित करने केे निर्देश दिये, जिन्होंने भू अधिग्रहण कार्य में शिथिलता और लापरवाही अपनायी है।
श्री सिंह ने परियोजना के कार्यो में गतिशीलता लाने के लिए श्री गोविन्द चन्द मुख्य अभियन्ता स्तर-1 को अपने कार्यो के साथ मुख्य अभियन्ता स्तर-1 विन्ध्याचल के अतिरिक्त प्रभार के साथ नोडल अधिकारी कनहर के रूप में भी कार्य करने के निर्देश दिये है। सिंचाई मंत्री ने इसी क्रम में शासन स्तर से सचिव सिंचाई श्री राजमणि यादव को इस परियोजना के उचित मार्गदर्शन देने की भी जिम्मेदारी सौंपी है।
बैठक में सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग श्री राजमणि यादव ने बताया कि उन्होने भी अभी परियोजना क्षेत्र का व्यापक भ्रमण कर अधिकारियों/अभियन्ताओं को सख्त निर्देश दिये है कि वे परियोजना क्षेत्र का स्थालीय भ्रमण कर अद्यतन स्थिति से शासन को अवगत कराते रहे।
मुख्य अभियन्ता कनहर परियोजना श्री आर0के0 शर्मा प्रगति का प्रस्तुतीकरण करते हुए बताया कि यह परियोजना वर्ष 1978-79 में प्रारम्भ हुई थी परियोजना में नाबार्ड का अंश 1038.29 करोड़ तथा राज्यांश 210.93 करोड़ है। परियोजना की भौतिक प्रगति 66 प्रतिशत तथा वित्तीय प्रगति 62 प्रतिशत है। उन्होंने यह भी बताया कि इस परियोजना में झारखण्ड़ के 66 व छात्तीसगढ़ के 42 एवं उत्तर प्रदेश के 3719 परिवार प्रभावित होंगे जिन्हें विस्थापित करने के लिए कारगर योजना बना ली गयी है इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में 2099 परिवारों को निर्मित आवासीय कालोनियों में पुर्नवासित किया गया है।