25 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

केंद्रीय कृषि मंत्री ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर एकीकृत मृदा पोषक तत्व प्रबंधन के लिए किसान आंदोलन का आह्वान किया

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एकीकृत मृदा पोषक तत्व प्रबंधन को किसान आंदोलन में तब्‍दील करने का आह्वान किया है।

आज यहां मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा करते हुए उन्होंने जैव एवं जैविक उर्वरकों के बढ़ते उपयोग और रासायनिक उर्वरकों के कम इस्‍तेमाल के लिए मिशन मोड में जागरूकता अभियान लॉन्च करने का निर्देश दिया, जो पूरी सख्ती के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशों पर आधारित होने चाहिए।

वर्ष 2020-21 के दौरान कार्यक्रम का प्रमुख फोकस देश के सभी जिलों को कवर करने वाले 1 लाख से भी अधिक गांवों के किसानों के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम पर होगा। श्री तोमर ने कृषि में शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं, महिला स्वयं सहायता समूहों, एफपीओ, इत्‍यादि द्वारा ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं (लैब) की स्थापना करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि एसएचसी योजना के तहत समुचित कौशल संवर्द्धन के बाद रोजगार सृजन सुनिश्चित करने पर फोकस किया जाएगा, जैसी कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की मंशा है। जिलों में उन स्थानों पर, जहां प्रयोगशालाएं अभी नहीं हैंवहां मृदा परीक्षण सुविधाएं स्थापित करने पर उन्होंने विशेष जोर दिया। सुरक्षित पौष्टिक भोजन के लिए भारतीय प्राकृत कृषि पद्धति सहित उर्वरकों के जैविक परीक्षण और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए मिट्टी परीक्षण पर आधारित व्यापक अभियान पंचायत राज, ग्रामीण विकास और पेयजल तथा स्वच्छता विभागों के साथ मिलकर चलाया जाएगा।

मंत्री श्री तोमर की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला व श्री कैलाश चौधरी तथा मंत्रालय के सचिव श्री संजय अग्रवाल भी मौजूद थे। बैठक में मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लाभ का प्रचार-प्रसार करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि केवीके-एसएयू के माध्यम से एक लाख गांवों में बड़े पैमाने पर मृदा परीक्षण आधारित उर्वरकों के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम और उसकी उर्वरता योजना इन उद्देश्यों के साथ केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे वर्ष 2014-15 के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के मार्गदर्शन में शुरू किया गया है: मृदा स्‍वास्‍थ्‍य को बनाए रखना तथा कृषि लागत को कम करने हेतु किसानों की सहायता के लिए उर्वरकों के विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना; उर्वरक प्रक्रिया में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए देश के सभी किसानों को प्रत्येक 2 वर्ष के अन्तराल पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना; क्षमता निर्माणकृषि छात्रों की भागीदारी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)/राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) के साथ प्रभावी लिंकेज के माध्यम से मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं (एसटीएल) के कामकाज को सुदृढ़ करना; राज्यों में समान रूप से नमूना लेनेमृदा विश्लेषण और उर्वरक संस्तुतियां प्रदान करने हेतु मानकीकृत प्रक्रियाओं के साथ मृदा की उर्वरता संबंधी बाधाओं का निदान; पोषक तत्व उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिए पोषक तत्व प्रबंधन का विकास व संवर्धन; एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने के लिए जिला और राज्य स्तर के अधिकारियों और प्रगतिशील किसानों की क्षमता का निर्माण करना; मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए क्षारीयतावृहत-पोषक तत्व (नाइट्रोजनफास्फोरसपोटैशियम) और सूक्ष्म पोषक तत्व (जिंकलौहतांबामैंगनीज तथा बोरॉन) जैसे महत्वपूर्ण मापदंडों का विश्लेषण।

योजना की प्रमुख उपलब्धियां :

  • पहले चक्र (2015-17) में 10.74 करोड़ और दूसरे चक्र (2017-19) में 9.33 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किए गए हैं। चालू वित्त वर्ष में अब तक सवा दो करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।
  • वर्ष 2019-20 में मॉडल विलेज पायलट प्रोजेक्ट में किसानों को 12.40 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं।
  • वर्ष 2019-20 के दौरान मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत 166 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी गई है और अब तक 122 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की राशि जारी की गई है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More