केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि शहद (मीठी) क्रांति देशभर में तेजी से अग्रसर होगी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने व किसानों की आय वृद्धि के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार पूरी शिद्दत के साथ काम कर रही है। केंद्र सरकार के प्रयासों से आज पूरे देश में किसान व किसानी के क्षेत्र में एक अलग प्रकार की उमंग पैदा हो रही है। प्रधानमंत्री जी के मन में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की चिंता है, इसीलिए सरकार अनेक योजनाओं पर काम कर रही है।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात बुधवार को कृषि भवन, नई दिल्ली में “मधुक्रांति पोर्टल” व “हनी कॉर्नर” सहित शहद परियोजनाओं का शुभारंभ करते हुए कही। श्री तोमर ने कहा कि शहद का उत्पादन बढ़ाकर निर्यात में वृद्धि की जा सकती है, रोजगार बढ़ाए जा सकते हैं, वहीं गरीबी उन्मूलन की दिशा में भी बेहतर काम किया जा सकता हैं। मधुमक्खीपालन, मत्स्यपालन व पशुपालन के माध्यम से हम भूमिहीन किसानों को गांवों में ही अच्छा जीवन जीने का साधन दे सकते हैं। शहद उत्पादन के लिए एक तरह से प्रतिस्पर्धा होना चाहिए। नाफेड ने शहद की मार्केटिंग की कमान संभाली, यह शुभ संकेत हैं। इसके माध्यम से दूरदराज के मधुमक्खीपालकों को अच्छा मार्केट मिलना चाहिए। देश में उत्पादन क्षमता से अधिक संभव है, पर क्वालिटी पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। मधुमक्खीपालन संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए सरकार की विभिन्न पहलें मधुमक्खीपालन का कायाकल्प करने में मदद कर रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक वर्ष लगभग 1.20 लाख टन शहद का उत्पादन देश के ग्रामीण इलाकों में विशेष रूप से किया जा रहा है। इसका लगभग 50 प्रतिशत निर्यात किया जाता है। शहद व संबंधित उत्पादों का निर्यात बढ़कर करीब दोगुना हो चुका है।
श्री तोमर ने कहा कि “मधुक्रांति पोर्टल” के माध्यम से पारदर्शिता आएगी। हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह वैश्विक मानकों पर खरा उतरना चाहिए। मंत्रालय ने पिछले कुछ समय में मापदंड बनाए हैं, जिससे स्थिति में काफी सुधार आया है। उन्होंने कहा कि कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) में छोटे मधुमक्खीपालकों को शामिल करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, साथ ही उन्हें ट्रेनिंग देने का कार्यक्रम भी बनाया जाएं। उल्लेखनीय है कि एफपीओ को विपणन सहायता के लिए नाफेड ने दिल्ली में करीब 15 हनी कॉर्नर विकसित किए हैं, जो आश्रम, नया मोती बाग व ईस्ट आफ कैलाश आदि जगह है, वहीं पंचकूला और मसूरी में भी नाफेड बाजार है। शहद व अन्य मधुमक्खी उत्पादों हेतु विपणन सहायता को बढ़ावा देने के लिए आगामी प्रमुख 200 नाफेड स्टोर्स में से अधिकांश में हनी कॉर्नर विकसित किए जाएंगे।
“मधुक्रांति पोर्टल” राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन और शहद मिशन के तहत राष्ट्रीय बी बोर्ड, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की एक पहल है। यह पोर्टल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शहद व अन्य मधुमक्खी उत्पादों के ट्रेसेबिलिटी स्रोत को प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण हेतु विकसित किया गया है। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के विकास के लिए तकनीकी और बैंकिंग सहयोगी इंडियन बैंक है। इस परियोजना के लिए एनबीबी व इंडियन बैंक के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर की उपस्थिति में एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।
कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने मधुक्रांति का जो नारा दिया है, वह सार्थक हो रहा है। आगे भी सफलता के लिए मधुमक्खी कालोनियों को गतिमान करना होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए केंद्र सरकार ने कोई कमी नहीं रखी है। क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं भी विकसित की जा रही है।
कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि ये परियोजनाएं किसानों की आय बढ़ाने में काफी सहायक सिद्ध होगी। नए “मधुक्रांति पोर्टल” के माध्यम से मधुमक्खीपालकों को तो सुविधा होगी ही, उपभोक्ताओं में भी भरोसा कायम होगा। इससे मिलावट की रोकथाम होगी।
कृषि सचिव श्री संजय अग्रवाल ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में कृषि आयुक्त डा. एस.के. मल्होत्रा, उद्यानिकी आयुक्त डा. बी.एन.एस. मूर्ति, नाफेड के एमडी श्री संजीव कुमार चड्ढा, एनबीबी के ईडी डा. बी.एल. सारस्वत, इंडियन बैंक के महाप्रबंधक श्री विकास कुमार व सहायक महाप्रबंधक श्री अनुराग दीप भी उपस्थित थे। शहद मिशन से जुड़े अन्य अधिकारी तथा मधुमक्खीपालक वर्चुअल जुड़े थे।
वैज्ञानिक मधुमक्खीपालन के समग्र संवर्धन और विकास के लिए और “मीठी क्रांति” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आत्म निर्भर भारत पैकेज के तहत 500 करोड़ रूपए आवंटित किए गए थे। एनबीएचएम में वर्ष 2019-20 व 2020-21 के लिए 86 करोड़ रू. की 45 परियोजनाएं मंजूर की गई है। इनमें से अनेक परियोजनाएं एस्पिरेशनल जिलों एवं दूरस्थ क्षेत्रों के लिए मंजूर की गई है। एनडीडीबी की आणंद में 5 करोड़ रू. की सहायता से विश्वस्तरीय स्टेट ऑफ़ द आर्ट हनी टेस्टिंग लेब स्थापित की जा चुकी है। इसके अलावा 2 अन्य बड़ी हनी टेस्टिंग लैब इंडियन इंस्टीट्यूट आफ हार्टिकल्चर रिसर्च (आईआईएचआर), बैंगलुरू तथा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), दिल्ली में मंजूर की गई है, इन दोनों पर आठ-आठ करोड़ रू. से ज्यादा खर्च होंगे। 13 अन्य जिला स्तरीय हनी टेस्टिंग लैब भी स्वीकृत की गई है, जिन पर दो-दो करोड़ रूपए खर्च होंगे।