केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कल दक्षिण अफ्रीका की ब्रिक्स अध्यक्षता में आयोजित 13वीं ब्रिक्स व्यापार मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। इस वर्ष ब्रिक्स का विषय “ब्रिक्स और अफ्रीका: पारस्परिक रूप से त्वरित विकास, सतत विकास और समावेशी बहुपक्षवाद के लिए साझेदारी” है। श्री पीयूष गोयल ने बैठक में डब्ल्यूटीओ, आपूर्ति श्रृंखला, डिजिटलीकरण, एमएसएमई से संबंधित मुद्दों और गलत मूल्य निर्धारण तथा कम बिलिंग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।
श्री गोयल ने एक महत्वाकांक्षी एजेंडा रखने और आर्थिक व व्यापार संबंधी मुद्दों पर संपर्क समूह (सीजीईटीआई) के तहत परिणाम उन्मुख गतिविधियों को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए दक्षिण अफ्रीकी अध्यक्षता की सराहना की। उन्होंने समानता, खुलेपन, समावेशिता, सर्वसम्मति, आपसी सम्मान और आपसी समझ की ब्रिक्स भावना का जोरदार समर्थन किया।
श्री पीयूष गोयल ने एक-दूसरे के बीच विश्वास बनाने पर जोर दिया और डब्ल्यूटीओ सुधार की दिशा में लघु, सुगम्य और उन्नतशील पहलों में विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि भारत तीन दशक पूरे होने पर डब्ल्यूटीओ को सशक्त, बेहतर, समावेशी के रूप में देखना चाहता है। उन्होंने ’30 के लिए 30′ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह डब्ल्यूटीओ द्वारा 30 वर्ष पूरे करने पर, यानी एक जनवरी 2025 तक डब्ल्यूटीओ में कम से कम 30 परिचालन सुधार लाने का एक प्रयास है।
जलवायु संबंधी चुनौतियों से निपटने के वैश्विक प्रयासों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के भारत के प्रयासों का हवाला देते हुए श्री गोयल ने ब्रिक्स सदस्य देशों को भारत की उपलब्धि और जर्मन वॉच द्वारा प्रकाशित जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक के अनुसार 5वें स्थान पर भारत की हालिया रैंकिंग से अवगत कराया। इस संदर्भ में, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत शीर्ष 10 रैंक में एकमात्र जी-20 देश था। चूंकि ब्रिक्स सदस्य भी जी-20 का हिस्सा हैं, इसलिए उन्होंने भारत की अध्यक्षता में जी-20 के ‘व्यापार और निवेश कार्य समूह’ के तहत महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करने के लिए सहयोग मांगा।
श्री गोयल ने यह भी कहा कि ब्रिक्स देशों के बीच सामूहिक प्रयासों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा पारदर्शिता और जानकारी साझा करके विश्वास आधारित खुले माहौल में काम करना होगा। इस संदर्भ में, उन्होंने इस बात पर भी निराशा व्यक्त की कि ब्रिक्स सदस्यता के भीतर भी, कुछ सदस्यों ने पारदर्शिता पर चिंता व्यक्त की थी। ब्रिक्स देशों के सामूहिक प्रयासों को रोकने के लिए गैर-विज्ञान आधारित स्वच्छता और फाइटो-स्वच्छता उपायों के जरिए गैर-टैरिफ अड़चने पैदा करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो व्यापार के लिए सहयोगात्मक प्रयासों का मूल है। मौजूदा व्यवस्था के तहत सदस्यों के बीच निष्पक्ष सहमति बनाने के हमारे प्रयास दुर्भाग्य से अपेक्षित परिणाम नहीं ला सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक व्यापार एवं निवेश गतिविधियों को पारदर्शी तरीके से सहयोगात्मक ढंग से नहीं चलाया जाएगा, तब तक अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे।
आपूर्ति श्रृंखलाओं पर, श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा और विविधता के साथ-साथ विश्वास व पारदर्शिता के सिद्धांत लचीली और मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं। यह ब्रिक्स देशों के बीच एक सुनिश्चित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की बुनियाद होगी जो व्यापक व्यवधानों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी जैसा कि कोविड-19 के दौरान अनुभव किया गया था।
श्री गोयल ने कहा कि प्रौद्योगिकी सबके प्रति समानता का भाव रखती है और वह विभाजनकारी नहीं है। लिहाजा, इसके मद्देनजर डिजिटल अर्थव्यवस्था संबंधी वर्चुअल प्लेटफार्मों, टेली-मेडिसिन, दूरस्थ शिक्षा और ई-भुगतान तक सबकी पहुंच न होने के प्रति उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने डिजिटल प्रौद्योगिकी और बेहतर सार्वजनिक सेवाओं के बारे में समग्र-समाज के दृष्टिकोण को अपनाने के लिए भारत द्वारा किए गए कार्यों और निर्णयों का उल्लेख किया। श्री गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत द्वारा की गई पहलों का हवाला दिया, जिसका उद्देश्य लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों का लाभ उठाकर डिजिटल विभाजन को समाप्त करना है।
चूंकि एमएसएमई ब्रिक्स सदस्य देशों का एक अभिन्न अंग हैं, इसलिए श्री पीयूष गोयल ने एमएसएमई के लिए सहयोग और सामूहिक प्रयासों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने अनुसंधान और विकास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व संयुक्त उद्यमों के साथ-साथ भविष्य में संभावित साझेदारियों के लिए व्यवसाय विकास के अवसरों के रूप में सहयोग की संभावनाएं तलाश करने जैसी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत बताई।
श्री गोयल ने व्यापार में गलत-मूल्य निर्धारण और कम बिलिंग-प्रक्रिया के अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत ने 2021 में अपनी अध्यक्षता में इसके महत्व को स्वीकार किया था और क्षमता निर्माण कार्यशाला के माध्यम से इसके नतीजों को शामिल किया गया था। श्री गोयल ने भारत द्वारा की गई पहल की निरंतरता में कार्यशाला आयोजित करने के लिए दक्षिण अफ्रीकी अध्यक्षता द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।
अंत में, श्री गोयल ने एक समान उज्जवल भविष्य के लिए उदारता, सहानुभूति और समझ के सिद्धांतों के तहत चुनौतियों का सामना करने के लिए लचीलेपन, एकता और पारदर्शिता सहित सहयोगात्मक प्रयासों तथा दृढ़ता के महत्व पर जोर दिया।