केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में कर्नाटक सहकारी सम्मेलन को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित किया। श्री अमित शाह ने “नंदिनी क्षीरा समुर्धी सहकार बैंक” के logo का शुभारंभ और सौहार्द सहकारी सौध का वर्चुअल उद्घाटन किया। कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश में जहां भी सहकारी आंदोलन सफल, मज़बूत और परिणाम लाने वाला रहा है, ऐसे कुछ राज्यों में कर्नाटक शीर्ष श्रेणी में आता है। कर्नाटक का सहकारिता आंदोलन देश में सबसे पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि 1905 में कर्नाटक के गडग ज़िले के एक गांव में भारत की पहली सहकारी संस्था की स्थापना हुई थी और वहीं से शुरू हुआ ये आंदोलन गांधी जी, सरदार पटेल, डॉ. त्रिभुवन दास पटेल और महाराष्ट्र के गाडगिल जी जैसे अनेक लोगों ने इस पौधे को सींचने का काम किया। आज ये पौधा एक वट वृक्ष बन कर पूरी दुनिया के सहकारिता आंदोलन के सामने गौरव के साथ खड़ा है। 1905 से शुरू हुई इस यात्रा को अगर पीछे मुड़कर देखते हैं तो 60,000 करोड़ रूपए के टर्नओवर वाली एक दूध की कोऑपरेटिव, अमूल भी दिखाई देती है। महिलाओं द्वारा साथ मिलकर बनाई हुई एक छोटी सी संस्था लिज्जत पापड़ के ब्रांड को दुनिया के 35 देशों में निर्यात कर रही है। दुनिया के सबसे बड़े खाद बनाने वाले कारखानों में शुमार, इफ़्को और कृभको, दोनों सहकारी संस्था हैं। अभी नंदिनी का लोगो जारी हुआ है और नंदिनी भी 17,000 करोड़ तक पहुंचने वाली कर्नाटक की प्रमुख सहकारी संस्था है।
श्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता ने ना केवल राष्ट्र में कृषि गतिविधियों, ग्रामीण गतिविधियों और ग्रामीण विकास को मज़बूत करने का काम किया है बल्कि देश के अर्थतंत्र को गति देने का काम भी इसी सहकारी आंदोलन ने किया है। इसने देश के अर्ततंत्र को गति तो दी ही, साथ ही पूरे मुनाफ़े को सबके बीच बराबर बांटकर ग़रीबों की आय में वृद्धि करने का काम बी इसी सहकारिता आंदोलन ने किया है। यहां आने वाले दिनों में सहकारिता आंदोलन की बहुत बड़ी संभावना हम देख रहे हैं, लेकिन साथ ही कुछ चुनौतियां भी हैं। अगर हम इन चुनौतियों का सामना नहीं करते हैं तो आने वाली पीढ़ियों को सहकारिता आंदोलन हम नहीं दे सकेंगे।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि ये वर्ष आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने तय किया है कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के वर्ष से लेकर आज़ादी के शताब्दी वर्ष तक, 75वें वर्ष से 100वें वर्ष तक, के कालखंड को पूरा देश अमृत काल के रूप में मनाएगा। आज़ादी के अमृत महोत्सव का ये वर्ष संकल्प लेने का वर्ष है और शताब्दी तक इस संकल्प की सिद्धि का कालखंड है। सब क्षेत्रों में भारत की जनता को कुछ संकल्प लेने होंगे। देश के सफल सहकारिता आंदोलनों में से एक कर्नाटक का सहकारिता आंदोलन है और कर्नाटक के सभी सहकारी कार्यकर्ताओं को भी ये संकल्प लेना होगा कि जब देश की आज़ादी के सौ साल होंगे तब कर्नाटक के हर गांव में सहकारिता की भूमिका को हम बढ़ाएंगे, इसे पारदर्शी, भरोसे लायक़ बनाएंगे और ग़रीबी उन्मूलन और कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सहकारिता आंदोलन को अनिवार्य भी बनाएंगे। अगर हम ये तय करते हैं तो मुझे पूरा विश्वास है कि जब शताब्दी आएगी तब कर्नाटक के सहकारिता आंदोलन को स्वर्णाक्षरों में लिखा हुआ पाएंगे।
श्री अमित शाह ने कहा कि सहकार से समृद्धि के सृजन का मिशन देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने रखा है। मोदी जी ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई प्रयास किए हैं, जिसमें एफ़पीओ भी है, पैक्स को मज़बूत करना भी है, सहकारिता विभाग का गठन करना भी है, सहकारिता विभाग के साथ मछली पालन और दुग्ध उत्पादन को मज़बूत करना है। मोदी जी ने कृषि की आय दोगुना करने के लिए अनेक तरह के उपाय सामने रखे हैं। देश के प्रथम सहकारिता मंत्री के नाते मुझे लगता है कि इसमें सहकारिता आंदोलन की बहुत बड़ी भूमिका है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज कर्नाटक स्टेट सौहार्द्र फ़ेडरेशन कोऑपरेटिव लिमिटेड का वर्चुअल उद्घाटन किया गया है। ये सौहार्द्र कोऑपरेटिव आंदोलन सहकारिता में पारदर्शिता लाने और सहकारिता में सरकारी दख़ल को कम से कम करने के लिए शुरू किया गया आंदोलन है। आज 5000 से ज़्यादा समितियां जिनके 62 लाख सदस्य बने हैं और लगभग 1,000 करोड़ से अधिक की शेयर्ड पूंजी सौहार्द्र के पास है। ये बताता है कि जब हम विश्वसनीयता बढ़ाते हैं तो जनता सहकारिता आंदोलन का समर्थन कर सकती है।
श्री शाह ने कहा कि नंदिनी क्षीरा समुर्धी सहकारी बैंक के लोगो का भी आज शुभारंभ हुआ है। दुग्ध मंडियों के लिए एक अलग बैंक बनाने का काम पूरे देश में सिर्फ़ कर्नाटक ने किया है। मोदी जी ने दुग्ध उत्पादकों को क्रेडिट कार्ड देने का फ़ैसला किया है और अब नंदिनी क्षीरा समुर्धी सहकारी बैंक सभी दुग्ध उत्पादकों को क्रेडिट कार्ड देकर पशुपालकों को अपने साथ जुड़ने का मौक़ा देगा। योजना भारत सरकार की है, आप इसे आगे बढ़ाइये और सभी पशुपालकों को अपने पैरों पर खड़ा करने और आत्मनिर्भर करने के लिए भारत सरकार की योजना को आप इस बैंक के ज़रिए आगे बढ़ा सकते हैं। इस बैंक के कई उद्देश्य रखे गए हैं। ये डेयरी विकास और प्रोसेसिंग की गतिविधियों के लिए कम ब्याज पर फाइनेंस करेगा, बुनियादी ढांचे और वर्किंग कैपिटल दोनों के लिए लोन देगा और दूध उत्पादकों के समग्र विकास में भी सहायता करेगा।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में सहकारिता विभाग को अलग करने का एक निर्णय लिया है। कई वर्षों से कोऑपरेटिव के क्षेत्र में काम करने वालों की मांग थी कि भारत सरकार में सहकारिता विभाग अलग होना चाहिए और इसे कृषि विभाग का अंग नहीं होना चाहिए। मोदी जी ने 75 सालों के बाद इस बात को स्वीकार कर कर सहकारिता आंदोलन को बहुत बड़ा समर्थन करने का काम किया है। ये सहकारिता विभाग अब एक्सक्लूसिवली कोऑपरेटिव की चिंता भारत सरकार में करेगा और मेरे लिए गर्व का विषय है कि देश का पहला सहकार मंत्री बनने का गौरव भी उन्होंने मुझे दिया है। उन्होंने कहा कि 1958 से लेकर कई सारी समितियों की कोञपरेटिव जो सिफारिशें थी वो पेंडिंग पड़ी रहीं, फाइलों पर जो धूल जम चुकी थी हमने सारी धूल उखाड़ दी है। छह महीने के अंदर सहकारिता क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन के लिए भारत सरकार देश के सभी सहकारिता मंत्रियों का सम्मेलन बुलाने जा रही है।
श्री अमित शाह ने कहा कि हमें भी सहकारी क्षेत्र के अंदर पारदर्शिता लानी होगी, हमारी विश्वसनीयता बढ़ानी होगी, हमारे क्षेत्र में जो भ्रष्टाचार घुसपैठ कर चुका है इसको रोकना होगा, चुनाव में पारदर्शिता लानी होगी, भर्ती को पारदर्शी तरीके से करनी होगी और खरीदारी में भी आने वाले दिनों में भारत सरकार कोऑपरेटिव के लिए भी GeM का उपयोग मंजूर करने वाली है। इसके माध्यम से जब कोऑपरेटिव खरीदेंगे तब करप्शन जीरो हो जाएगा, ऑनलाइन जो सबसे सस्ता बेचता है उसी से खरीदेंगे। मगर इन सब चीजों को हमें एक सेल्फ डिसिप्लिन के नाते कोऑपरेटिव में लानी होंगी।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस साल देश की वित्त मंत्री ने सहकारिता मंत्रालय के लिए 900 करोड़ रूपए से ज्यादा के बजट की घोषणा की है। बहुत सारी इनकम टैक्स की रियायतें छोटी-छोटी कोऑपरेटिव्स के लिए और कोऑपरेटिव चीनी मिलों के लिए लगभग 8000 करोड के फायदे टैक्सेशन के ज़रिए इस बजट में मोदी जी ने घोषित किए हैं। इंटरनेट के इस युग में भारत सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि हम देश की 60,000 पैक्स (PACS) का संपूर्ण कंप्यूटराइजेशन करेंगे। पैक्स, डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक, स्टेट कोऑपरेटिव बैंक और नाबार्ड, ये चारों कृषि ऋण के क्षेत्र में एक ही सॉफ्टवेयर के आधार पर चलेंगे और यह सॉफ्टवेयर भारत की सब भाषाओं में उपलब्ध होगा। यह होने के बाद जो पैक्स लिक्विडेशन में गए हैं इनके रिवाइवल के लिए भी कुछ कानूनी सुधार सुझाव के रूप से हम राज्य सरकारों को भेजना चाहते हैं। 55 करोड़ रुपये कोऑपरेटिव शिक्षा के लिए हमने दिया है और कोऑपरेटिव ऋण गारंटी के लिए भी एक कॉरपस भारत सरकार बनाने जा रही है। नेशनल कोऑपरेटिव डेटाबेस के लिए भी भारत सरकार का सहकारिता मंत्रालय मोदी जी के नेतृत्व में काम कर रहा है। एक सहकारिता यूनिवर्सिटी बनाने की दिशा में हम काफी आगे बढ़ चुके हैं और नई सहकारिता पॉलिसी भी हम वर्ष 2023 से पहले देश के कोऑपरेटिव सेक्टर के सामने रखने वाले हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने एक अनुकूल माहौल बनाने के लिए ढेर सारी सुविधाएं दी हैं और अब बारी हमारी है। कोऑपरेटिव क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को सहकारिता की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आगे आना होगा।
श्री अमित शाह ने कहा कि देश को भारत के सहकारिता विभाग ने तीन हिस्सों में बांटा है। कोऑपरेटिव दृष्टि से डेवलप राज्य, डेवलपिंग राज्य कोऑपरेटिव की दृष्टि से और अंडर डेवलप्ड राज्य कोऑपरेटिव की दृष्टि से। इन तीनों की अलग रणनीति बनाकर हम सहकारिता आंदोलन को देश के हर गांव तक पहुंचाने के लिए कटिबद्ध हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि कर्नाटक का सहकारिता आंदोलन इसको चुनौती के रूप में लेगा और कर्नाटक के हर गांव में यह पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि आज इस परिषद के अंदर जब आया हूं तब एक और बात कहता हूं कि कई लोग कोऑपरेटिव आंदोलन को आउटडेटेड आंदोलन कहकर मजाक उड़ाते हैं। मैं आज आप सभी के सामने कुछ आंकड़े रखना चाहता हूं। जितना भी एग्रीकल्चर क्रेडिट देश में दिया जाता है उसका 25% कोऑपरेटिव सेक्टर देता है, जितना भी खाद वितरण होता है, उसका 35% कोऑपरेटिव सेक्टर करता है, खाद का उत्पादन 25% करता है, चीनी का उत्पादन उत्पादन 31% करता है, स्पिंडल का उत्पादन 29% करता है, दूध का उत्पादन 16% से ज्यादा कोऑपरेटिव माध्यम से होता है, गेहूं की खरीद 15% से ज्यादा कोऑपरेटिव सेक्टर करता है और धान की खरीदी 20% से ज्यादा कोऑपरेटिव सेक्टर करता है और मछुआरों का बिजनेस 21% से ज्यादा कोऑपरेटिव सोसाइटी करती हैं। हम सबको इन सभी क्षेत्रों में नए लक्ष्य तय करने चाहिए और इन नए लक्ष्यों को हासिल करने की रणनीति राज्य और देश के स्तर पर करनी चाहिए।