केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर के 18वें दीक्षांत समारोह में छात्रों कोवर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। समारोह में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे विशिष्ट अतिथि थे। एलएंडटी के रक्षा व्यापार और एलएंडटी-एनएक्सटी के पूर्णकालिक निदेशक, और वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष श्री जे. डी. पाटिल, भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अपने वीडियो संदेश में छात्रों और अभिभावकों को बधाई दी। उन्होंने 3 डी यानी लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और मांग के बारे में बात की। उन्होंने छात्रों से इन 3डी का उपयोग करते हुए देश को आत्मनिर्भर बनने में मदद करने और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करने की अपील की। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में इंजीनियरिंग की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं जैसे डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया आदि के बारे में भी बात की।उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत और सशक्त भारत का निर्माण करें। मंत्री जी ने संस्थान के कुछ पूर्व छात्रों के बारे में बात की, जिन्होंने समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए काफी योगदान दिया है। डॉ. पोखरियाल ने कोरोना महामारी के दौरान संस्थान द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की।
श्री संजय धोत्रे ने संबोधन के दौरान छात्रों को उनके माता-पिता द्वारा किए गए त्याग को याद करने के लिए कहा, जिसके चलते वे इस उपलब्धी तक पहुंच सके। उन्होंने आगे कहा कि समय आ गया है कि छात्र अपनी पढ़ाई के दौरान सीखी गई अवधारणाओं और विचारों को लागू करें। मंत्री जी ने हाल के वर्षों में भारत में तेजी से हुए बदलावों की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने छात्रों से इस अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दुनिया में अपने मूल्यों को बरकरार रखने की अपील की।
18वें दीक्षांत समारोह के दौरान, वीएनआईटी ने कुल 1134 डिग्री प्रदान की, जिसमें शामिल है
- 61 डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी
- 268 मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी
- 648 विभिन्न इंजीनियरिंग विषयों में प्रौद्योगिकी स्नातक और
- 63 बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर
इस वर्ष वीएनआईटी ने अपने मेधावी छात्रों और अनुसंधान विद्वानों को 45 पदक और पुरस्कारों के साथ सम्मानित किया।
इस वर्ष, प्रतिष्ठित सर विश्वेश्वरैया पदक अब्दुल सत्तार मोहम्मद अशरफ मपारा को बीटेक इन कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में बीटेक प्रोग्राम के सभी विषयों में उच्चतम सीजीपीए हासिल करने के लिए दिया गया। उन्होंने स्वर्गीय श्री एन जी जोशी पुरस्कार, स्वर्गीय डॉ. ए जी पैथंकर मेडल और स्वर्गीय महामहोपाध्याय पद्मविभूषण डॉ. वी वी मिराशी पदक भी प्राप्त किया। बी.टेक कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में उच्चतम सीजीपीए के लिए दिया जाने वाला शैक्षणिक उत्कृष्टता पुरस्कार और स्वर्गीय श्री पराग तिजारे पुरस्कार भी उन्हीं को दिया गया।
सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की छात्रा सुश्री चेतना श्रीवास्तव ने सर्वाधिक पुरस्कार और पदक हासिल किए।उन्हें बीटेक, सिविल इंजीनियरिंग में उच्चतम सीजीपीए के लिए इंस्टीट्यूट मेडल, अकादमिक एक्सीलेंस प्राइज, वाटवे एजुकेशन ट्रस्ट प्राइज, स्वर्गीय श्री विष्णु दिवाकर उर्फ भाऊसाहेब गिजरे पुरस्कार, पीजे सहस्त्रबुद्धे मेमोरियल पुरस्कार, स्वर्गीय श्री सी टी गिरीपुरे पुरस्कार, स्वर्गीय प्रोफेसर एमएस जोशी पदक, स्वर्गीय अमोल कृष्णाराव कवाडकर पदक और स्वर्गीय श्री सादीक वली पदक प्राप्त प्रदान किया गया। उन्होंने इस विषय में एडवांस्ड स्ट्रक्चरल एनालिसिस में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने के लिए डॉ. एस एस अमीन पुरस्कार भी जीता। बी टेक कार्यक्रमों के सभी विषयों में दूसरे उच्च सीजीपीए के लिए स्वर्गीय श्री विश्राम जी जामदार की स्मृति में नवनिर्मित पदक, सुश्री चेतना को प्रदान किया गया।
सागर कुलकर्णी ने बीटेक (मैटलर्जिकल एंड मैटेरियल्स इंजीनियरिंग) में दूसरे सर्वोच्च सीजीपीए के लिए नवगठित स्वर्गीय श्री विश्रामजी जामदार पदक जीता।अंत में रजिस्ट्रार, डॉ. एस आर साठे द्वारा धन्यवाद ज्ञापनकिया गया।
प्रोफेसर पी. एम.पडोले, अध्यक्ष बीओजी और वीएनआईटीके निदेशक ने अपने भाषण में संस्थान की रिपोर्ट प्रस्तुत की।अपने भाषण के दौरान उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संस्थान उद्योग में दृढ़ता से विश्वास करता है। संस्थान ने सहभागिता में कई उद्योगों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें फ्रांसीसी विमान निर्माता, दासॉल्ट एविएशन,के साथउत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने और सीमेंस के साथ पाठ्यक्रम शुरू करना शामिल है। मेडिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विभिन्न अनुसंधान क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए उद्योग 4.0 और एम्स नागपुर में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना की गई है। उन्होंने आगे कहा कि, पिछले वर्ष के दौरान, संस्थान ने विभिन्न संगठनों से 55 करोड़ रुपये की लागत से आरएंडडी प्रोजेक्ट हासिल किए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 185% अधिक है।
श्री जे. डी. पाटिल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि अब उनके लिए देश को वह लौटाने का समय आ गया है जो देश और समाज ने उन्हें दिया है जिससे उन्हें इस स्तर तक पहुंचने में मदद मिली है।उन्होंने छात्रों को उनकी जिम्मेदारियों और समाज और देश के लिए क्या सही है, यह याद दिलाया। उन्होंने छात्रों से यह भी अपील की कि वे इस बात पर ध्यान दें कि वह आज जो कुछ भी है, वह उनको संस्थान की देना है।